रांची : प्रदेश कांग्रेस में बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि 15 अगस्त के बाद प्रदेश कांग्रेस का चेहरा बदल सकता है। गुरूवार को नई दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रदेश के नेताओं से बैठक की और उनसे प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों और बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर फीडबैक लिया। पार्टी अब विधानसभा चुनाव को लेकर झारखंड में बन रहे राजनीतिक समीकरण और बदलाव से होनेवाले सियासी फायदा-नुकसान का आकलन कर प्रदेश नेतृत्व में बदलाव पर निर्णय लेगी।
आदिवासी में कालीचरण और ओबीसी में प्रदीप यादव समेत कई नामों पर चर्चा
झारखंड में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद के लिए आदिवासी नेताओं में कालीचरण मुंडा का नाम सबसे आगे चल रहा है। उनके बाद दूसरे नंबर पर बंधु तिर्की और तीसरे नंबर पर सुखदेव भगत के नाम की चर्चा है। लोहरदगा से लोकसभा सांसद सुखदेव भगत पूर्व में भी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं।वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी चेहरों की बात करें तो पहले नंबर पर पोड़ैयाहाट से कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का नाम आ रहा है।पार्टी इन सभी नामों पर विचार कर रही है।
इसलिए है कांग्रेस को आदिवासी और ओबीसी चेहरे की तलाश
झारखंड में विधानसभा चुनाव नजदीक आ पहुंचे हैं। बीते लोकसभा चुनाव में पांचों सामान्य लोकसभा सीटें कांग्रेस हार गयी थी। झारखंड में कांग्रेस ने इंडिया ब्लॉक में रहकर सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था पर केवल खूंटी और लोहरदगा में भी पार्टी को जीत मिली थी। कांग्रेस आनेवाले विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करना चाहती है, पार्टी यह बखूबी जानती है कि राज्य में आदिवासी और ओबीसी की बड़ी आबादी है। इनमें चुनावों के परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता है, ऐसे में पार्टी इन्हीं में से आनेवाले प्रभावी नेताओं को आगे कर विधानसभा चुनावों में अपनी नैय्या पार करना चाहती है।