रांची
झारखंड राज्य के आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्याओं और मांगों को लेकर आज एक अहम बैठक गूगल मीट के माध्यम से आयोजित की गई। इस बैठक में झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ की उपस्थिति में झारखंड राज्य आउटसोर्सिंग कम्प्यूटर ऑपरेटर संघ के अध्यक्ष और राज्य भर के विभिन्न संवर्गों के प्रतिनिधि शामिल हुए।
बैठक का मुख्य विषय राज्य सरकार द्वारा जारी आउटसोर्सिंग मैनुअल रहा। सभी प्रतिनिधियों ने मैनुअल में मौजूद प्रावधानों को कर्मचारी विरोधी करार दिया। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जब तक सरकार मैनुअल में जरूरी संशोधन नहीं करती, तब तक चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा।
संघ की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
1. संविदा कर्मियों को मिलने वाला मानदेय आउटसोर्स कर्मचारियों को भी मिले।
2. सभी आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा 60 वर्ष तक सुनिश्चित की जाए।
3. मध्य प्रदेश की तर्ज पर कर्मचारियों को ठेका प्रथा से मुक्त कर संविदा पर समायोजित किया जाए।
4. कार्यरत कर्मचारियों को स्वीकृत पदों पर समायोजित किया जाए।
संघ का कहना है कि बार-बार मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों से आग्रह के बावजूद इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया गया। ऐसे में अब आंदोलन अनिवार्य हो गया है।
आंदोलन का कार्यक्रम इस प्रकार है:
• 9 से 11 जून: तीन दिन तक काली पट्टी लगाकर कार्य
• 11 जून (शाम 6 बजे): जिला मुख्यालयों में कैंडल मार्च
• 12 जून: जिला समाहरणालयों के सामने एक दिवसीय धरना
• 15 जून: रांची के मोरहाबादी मैदान में राज्यस्तरीय महाधरना
इस आंदोलन को झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ का भी समर्थन प्राप्त है। यदि सरकार ने समय रहते मांगे नहीं मानीं, तो भविष्य में सामूहिक अवकाश या हड़ताल जैसे कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।