रांची:
कोविड काल में निजी विद्यालयों से सरकार फी माफ नहीं करा पाई। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो टाइगर के नाम से जाने जाते हैं। वह लगातार निजी विद्यालयों को चिट्ठी लिखते रहे, लेकिन टाइगर जगरनाथ महतो की बात किसी विद्यालय प्रबंधन ने नहीं मानी। यह बातें अनंत ओझा ने कही।
निश्चय पत्र के हिसाब से काम नहीं
अनंत ओझा गुरुवार को दूसरी पाली में शिक्षा विभाग के अनुदान मांग पर लाए गए कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान निश्चय पत्र के जरिये झामुमो, राजद और कांग्रेस के द्वारा शिक्षा की स्तर में बेहतरी के लिए कई वादे किए गए थे, लेकिन निश्चय पत्र पर कोई काम नहीं हुआ।
शिक्षा मंत्री का अजीबो-गरीब बयान
अनंत ओझा ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की स्तर ऐसी है कि शिक्षा मंत्री को अजीबो गरीब बयान देना पड़ता है। शिक्षा मंत्री कहते हैं कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का स्तर नहीं सुधरा तो निजी हाथों में इसके संचालन की जिम्मेवारी सौंप देंगे, जो कि दर्शाता है कि शिक्षा का स्तर क्या है।
साक्षरता दर बढाने की जरूरत
अनंत ओझा ने कहा कि जब झारखंड बना था उस समय 53 प्रतिशत साक्षरता दर था। 21 वर्षों में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार महज 36 प्रतिशत बढ़ा है. इसमें और सुधार की जरूरत है।