द फॉलोअप डेस्कः
ईडी कोर्ट से छह दिनों के लिए रिमांड की अनुमति मिलने के बाद ईडी ने आलमगीर आलम को शुक्रवार की सुबह करीब रिमांड पर ले लिया है। मंत्री आलमगीर आलम से रिमांड पर पूछताछ शुरू हो चुकी है। ईडी अब उनसे एक-एक इंजीनियर, ठेकेदार व अधिकारी का हिसाब ले रही है। ईडी ने उनसे सवाल किया है कि साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने किस अधिकारी से कितना कमीशन लिया। हालांकि ठेकों के मैनेज होने और उससे मिलने वाले कमीशन पर आलम ने चुप्पी साध ली है। आलमगीर और संजीव लाल को आमने-सामने बैठाकर भी सवाल पूछे गए।
संजीव लाल के नौकर के यहां से मिले दस्तावेजों पर आधारित सवाल आलमगीर आलम से की जा रही है। उनसे ग्रामीण विकास और ग्रामीण कार्य विभाग में होने वाले टेंडर और उसको मैनेज किए जाने संबंधी सवाल पूछे गए। इसपर मंत्री ने बताया कि ठेका-पट्टा का काम संजीव लाल और विभाग के अधिकारी ही देखते थे। उन्हें इस विषय में अधिक जानकारी नहीं है।
ट्रांसफर-पोस्टिंग में उगाही के सूबत मिले हैं
ईडी को सीओ, बीडीओ की पोस्टिंग से जुड़े कई अनुशंसा पत्र भी छापेमारी के दौरान मिले थे। उस पर भी मंत्री से सवाल पूछे गए। इसपर मंत्री ने बताया कि पार्टी व संगठन से जुड़े लोगों के द्वारा पैरवी की जाती है, यह समान्य है। हालांकि ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी संजीव लाल के द्वारा उगाही के साक्ष्य ईडी को मिले हैं।
पैसों के स्त्रोत का पता चल गया है
ईडी को जांच के क्रम में जहांगीर के फ्लैट से बरामद कैश के स्रोत की जानकारी जुटा चुकी है। इन पैसों को ईडी ने आलमगीर आलम का ही माना है। पूरे पैसे ठेका मैनेज करने के बाद कमीशन की उगाही के हैं। वहीं ट्रांसफर-पोस्टिंग के जरिए भी मंत्री के आप्त सचिव ने पैसे जुटाए थे। ईडी का दावा है कि ये पैसे बीते तीन माह में ही जमा किए गए हैं।
ईडी के अधिकारी संजीव लाल और पूर्व में चीफ इंजीनियर रहे वीरेंद्र राम के बयानों का मिलान कर रहे हैं। ईडी रोजाना विभागीय इंजीनियरों से भी पूछताछ कर रही है। जांच में असिस्टेंट इंजीनियरों द्वारा मंत्री के कहने पर संजीव लाल तक पैसे पहुंचाने की बात सामने आई थी। इधर, मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम वर्तमान में ईडी की रिमांड पर हैं। दोनों की रिमांड अवधि 18 मई को समाप्त हो रही है। ईडी दोनों को शनिवार को कोर्ट में प्रस्तुत करेगी और उनकी रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए कोर्ट से आग्रह करेगी।