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एकल पीठ के आदेश को डबल बेंच ने रखा बरकरार, पूर्व डीसी छवि रंजन से जुड़ा है मामला

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द फॉलोअप डेस्कः 
17 नवंबर 2022 को झारखंड हाईकोर्ट की एकल पीठ ने हेहल अंचल के बजरा मौजा की खाता 140 की जमीन के जमाबंदी रद्द करने का आदेश दिया था। इसके बाद श्याम सिंह ने डबल बेंच में इसकी शिकायत LPA के माध्यम से की थी। आज उसी LPA पर हाईकोर्ट डबल बेंच ने सुनवाई की और एकल पीठ के फैसले को सही ठहराया। बता दें कि इस जमीन के विवाद से भी रांची के पूर्वी डीसी छवि रंजन का नाता है।  चंदन कुमार नामक शख्स ने 2021 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी जो खुद को इस जमीन का दावेदार कहता है। उस वक्त रांची के डीसी छवि रंजन थे। चंदन ने याचिका में कहा था कि रांची डीसी छवि रंजन ने नियम विरुद्ध जाकर जमीन का लगान रसीद काटने का आदेश दिया है। उन्होंने अपने पद एवं अधिकारों का दुरूपयोग किया है। बिना किसी पुख्ता दस्तावेज के वैसे व्यक्ति के नाम पर जमाबंदी कायम करने का आदेश दिया, जो उस भूमि का दावेदार है ही नहीं। 


एक साथ 83 साल का रसीद काट दिया था 
उन्होंने 7 एकड़ जमीन का 83 साल का लगान रसीद एक ही साथ काटने का आदेश दे दिया था। जमीन 7 एकड़ है। इस जमीन पर पुलिस की मौजूदगी में बाउंड्री किया गया था, जिसका भारी विरोध किया गया था। जमीन की रजिस्ट्री के साल भर बाद यह पता चला कि भूमि का 83 साल का लगान काटने का आदेश दिया गया है उसके ओरिजिनल दस्तावेज ही रिकॉर्ड रूम से गायब है। बता दें कि इस जमीन रजिस्ट्री रवि भाटिया और श्याम सिंह के नाम पर चार अलग-अलग डीड के जरिए की गई है। रजिस्ट्री से एक दिन पहले ही लगान रसीद रवि भाटिया और श्याम सिंह को दिया गया था। 1938 से लेकर 2021 तक का लगान तय किये बिना ही रसीद भी दे दिया गया। जिसके बाद प्रमंडलीय आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी ने रांची डीसी छवि रंजन के आदेश को नियम के विरूद्ध बताया था। आज डबल बेंच ने भी एकल पीठ के आदेश यानि बजरा मौजा की खाता 140 की जमीन के जमाबंदी को रद्द करने का निर्णय सुना दिया है। वैसे बता दें कि जमीन कारोबारी इस जमीन की कीमत तकरीबन 50 करोड़ बताते हैं। हालांकि दर के मुताबिक इस जमीन की वर्तमान कीमत करीब 30 करोड़ है।