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'विकास का भी कहीं अंत होता है?', झारखंड के गुमला में बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

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द फॉलोअप डेस्कः
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ग्रामीण स्तरीय कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए विकास के विषय में समझाया और कहा कि कुछ इंसान सुपरमैन बनाना चाहते हैं। झारखंड के बिशुनपुर में उन्होंने कहा, "आगे बढ़ने का अंत नहीं है। विकास एक ऐसी चीज है। लेकिन मनुष्य वहां पर पहुंच जाता है, लेकिन उसके पास मानवता नहीं है, तो ऐसे में उसे पहले असली मनुष्य बनना चाहिए। वहां जाने पर वह सुपरमैन बनना चाहता है।"


भागवत आगे बोले, "सुपरमैन बनने के बाद मनुष्य वहां रुकता नहीं है, उसे लगता है कि देव बनना चाहिए, तो वह देवता बनना चाहता है, लेकिन देवता कहते हैं कि भगवान तो हमसे बड़ा है तो वह भगवान बनना चाहता है। पर भगवान कहते हैं कि मैं तो विश्वरूप हूं। अभी तो मैं एक रूप में दिख रहा हूं, लेकिन मेरा विश्व में व्याप्त बिना आकार का रूप है। इससे कह सकते हैं कि विकास का कोई अंत नहीं है।"


मनुष्य अलौकिक बनना चाहता है। आंतरिक और बाह्य दोनों ही प्रकार के विकासों का कोई अंत नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है। बहुत कुछ किया जा चुका है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है। इसलिए हम सबको थोड़ा असमाधान रहना चाहिए। कार्यकर्ता के मन में भी यही आना चाहिए कि इतना काम किया और अभी ये बाकी है। सतत करने में ही इसका समाधान मिलता है। 


मोहन भागवत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद पूरी दुनिया को यह समझ में आ गया कि भारत के पास शांति और खुशी का रोडमैप है उन्होंने यह भी कहा कि 'सनातन धर्म' मानव जाति के कल्याण में विश्वास करता है. उन्होंने कहा कि बदलते समय में अपने काम और सेवाओं को जारी रखने के लिए नए तरीकों को अपनाने की जरूरत है. भागवत ने कहा कि सभी को समाज के कल्याण के लिए निरंतर काम करना चाहिए.  
 

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