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कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक ने जनता की उम्मीद पर फेरा पानी, अपनी नाकामी को छुपाने के लिए राज्यपाल पर उठाया सवालः दीपक प्रकाश

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द फॉलोअप डेस्कः 

आज गठबंधन सरकार की पहली समन्वय समिति की बैठक हुई। एक तरफ जहां समन्वय समिति के सदस्यों ने भाजपा को घेरा है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गठित  समन्वय समिति की पहली बैठक ने राज्य के सवा तीन करोड़ जनता की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। उन्होंने कहा कि बैठक केवल औपचारिकता मात्र बनकर रह गई। आगे कि कहा कि राज्य के ज्वलंत मुद्दों में आकंठ भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न, हजारों बहन बेटियों के साथ घट रही बलात्कार की घटनाएं, बेटियों की नृशंस हत्याएं,जमीन की लूट,खान खनिज की लूट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे समन्वय समिति के एजेंडे में शामिल नहीं हुए। 

 

अपनी ही सरकार  को दिखाया आईना 
दीपक प्रकाश ने कहा कि नियोजन नीति और स्थानीय नीति पर समन्वय समिति ने खुद अपनी सरकार को ही आइना दिखाया है। समन्वय समिति ने जन भावनाओं के अनुरूप नियोजन नीति की बात की है। इससे स्पष्ट है कि  हेमंत सरकार जनभावनाओं पर खरी नहीं उतर रही है। आज हजारों युवा बेरोजगार सड़कों पर उतरकर सरकार की नीति का प्रबल विरोध कर रहे। उन्होंने कहा कि युवाओं को आंदोलन केलिए मजबूर करने वाली सरकार का नाम हेमंत सरकार है। जिसने छात्रों,बेरोजगारों को अभूतपूर्व असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। हेमंत सरकार की न नीति साफ है न नीयत ही।


अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए राज्यपाल पर उठाया सवाल 
आगे प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में रोज नए-नए घोटाले उजागर हो रहे । भ्रष्ट ऑफिसर्स दलाल बिचौलिए मालामाल हो रहे हैं। ईडी की कारवाई में मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि जेल में हैं। सड़क बिजली ,पानी,स्वास्थ्य व्यवस्था ,विधिव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। स्वयं मुख्यमंत्री  नियम विरुद्ध फैसले को लेकर कटघरे में खड़े हैं।  कहा कि ट्रिपल टेस्ट के बिना निकाय चुनाव को टाला जा रहा है। लेकिन इस विषय पर समन्वय समिति ने कोई राय नहीं दी। राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ में लगातार वृद्धि हुई है । राज्य की डेमोग्राफी में स्पष्ट परिवर्तन झलक रहा लेकिन समन्वय समिति ने इस मुद्दे को राज्य के ज्वलंत मुद्दों में शामिल नहीं किया। उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद नेता प्रतिपक्ष का मामला  ठंडे बस्ते में है। आज नेता प्रतिपक्ष के बिना लोकायुक्त,सूचना आयोग,महिला आयोग का गठन नही हो सका है फिर भी यह मुद्दा समन्वय समिति का एजेंडा नही बना। इतना ही नहीं वित्त आयोग गठित नही होने से केंद्रीय अनुदान के हजारों करोड़ रूपए राज्य केलिए लंबित है इसपर समिति मौन रही।उन्होंने कहा कि समिति ने केवल बैठक की खाना पूर्ति की है। और अपनी नाकामियों को छुपाने केलिए भाजपा के खिलाफ बयान देकर अपना पल्ला झाड़ दिया है। एक सशक्त विपक्ष के नाते भाजपा ने लगातार सदन से सड़क तक जन मुद्दों को उठाया है ,संघर्ष किया है। जो आगे भी जारी रहेगा। समन्वय समिति को राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर उंगली उठाने से पहले अपनी नाकामियों को ठीक करने की पहल करनी चाहिए। राज्यपाल ने फाइलों में जो सवाल खड़ा किए हैं उसका विधि सम्मत जवाब देना चाहिए।

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