द फॉलोअप डेस्क :
महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को पूरे देश भर में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। शिवरात्रि के दिन लोग भगवान शिव के दर्शन और जलार्पण करने के लिए शिवमंदिर जाते है। हजारीबाग जिले में भगवान शिव के सैकड़ों मंदिर है, लेकिन हजारीबाग का बुढ़वा महादेव का एक अलग ही स्थान है। मंदिर के पुजारी गौरव मिश्रा ने कहा कि इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग उस समय का है,जब भगवान बुद्ध बौद्ध धर्म का प्रचार किया करते थे। जब बुद्ध ज्ञान की प्राप्ति के लिए हजारीबाग से यात्रा कर रहे थे। उन्होंने इसी मंदिर में रात्रि विश्राम किया था।
400 साल पुराना है मंदिर का इतिहास
पुजारी ने बताया कि हमारा परिवार यहां 8 पीढ़ियों से पूजा-पाठ करवा रहा है। इस मंदिर का भवन लगभग 400 साल पुराना है। रामगढ़ के राजा-रानी इस शिव मंदिर में पूजा किया करते थे। यह मंदिर एक एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां मां वैष्णो देवी, हनुमान जी और शनि देव का भी मंदिर स्थापित है। यह झारखंड का एक बहुत ही महत्वपूर्ण मंदिर है।
मंदिर में है मनोकामना शिवलिंग
गौरव मिश्रा ने बताया कि यहां देवघर और इटखोरी की तरह ही इस मंदिर के शिवलिंग को भी मनोकामना शिवलिंग कहते है। बाबा के इस दरबार से कोई भी खाली नहीं जाता है। धन की चाह रखने वाले को धन, जिन्हें यश वैभव की चाह है उन्हें बाबा यश वैभव देते है। इस मंदिर के शिवरात्रि के दिन अहले सुबह से भक्तो का तांता लगा मिलता है। इस मंदिर का जिक्र ब्रिटिश लाइब्रेरी की किताबों में भी मिलता है।
लाखों बार हुआ महामृत्युंजय-रुद्राभिषेक
इस मंदिर में लाखों बार महामृत्युंजय और रुद्राभिषेक हो चुका है।