द फॉलोअप डेस्क
सरायकेला कोर्ट ने मनरेगा मजदूर को मजदूरी भुगतान नहीं करने के एक मामले में सख्ती दिखाते हुए बीडीओ कार्यालय की चल संपत्तियों को सील कर उनकी नीलामी करने का आदेश दिया है, ताकि मनरेगा मजदूर चांद मुनि मुंडारी को बकाया 73 हजार रुपये का भुगतान किया जा सके। सरायकेला सिविल कोर्ट के जज आशीष अग्रवाल की अदालत ने यह आदेश दिया, जिसमें बीडीओ कार्यालय की चल संपत्तियों को जप्त कर नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया। यह मामला 2005-06 का है, जब चांद मुनि मुंडारी को मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया था। मजदूर ने इस मुद्दे को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद वाद संख्या 5/2024 दर्ज किया गया।
मंगलवार को कोर्ट के आदेश के तहत सरायकेला के बीडीओ कार्यालय की चल संपत्तियों को सील कर दिया गया और उन पर कोर्ट का आदेश चस्पा किया गया। आदेश में स्पष्ट किया गया कि बीडीओ कार्यालय को 29 मार्च तक मजदूर के बकाया पैसे का भुगतान करना होगा, अन्यथा कोर्ट बीडीओ कार्यालय की संपत्तियों को बेचकर मजदूर को भुगतान करेगी। इसमें बीडीओ की सरकारी गाड़ी (संख्या JH22C-3793), अलमारी, टेबल-कुर्सी, फ्रिज, एसी, पंखे समेत सभी चल संपत्तियां शामिल हैं।
यह मामला उस समय सामने आया है, जब सरायकेला प्रखंड को आकांक्षी प्रखंड के रूप में चयनित किया गया है और नीति आयोग की टीम सरायकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड के दौरे पर है। इसी दौरान कोर्ट के आदेश पर बीडीओ कार्यालय को सील किया गया है। न्यायालय कर्मियों के द्वारा बीडीओ कार्यालय के सभी चलंत संपत्तियों पर कोर्ट का इस्तेहार चस्पा किया गया है। आदेश अनुसार अगर 29 दिन के अंदर बीडीओ कार्यालय के द्वारा मजदूर के पैसों का भुगतान नहीं कर दिया जाता है तो कोर्ट सभी सामग्रियों को बेचकर मजदूर के पैसों का भुगतान करेगी।