द फॉलोअप डेस्क
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने राज्य के सभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आदिवासियों की अस्मिता, संस्कृति और पहचान को बचाने के लिए जनगणना में सरना धर्मकोड जोड़ने की मांग की है।
प्रदेश कांग्रेस मीडिया चेयरमैन सतीश पॉल मुंजनी ने बताया कि झारखंड विधानसभा ने 11 नवंबर 2020 को एक विशेष सत्र में सर्वसम्मति से सरना धर्मकोड को जनगणना में शामिल करने का प्रस्ताव पारित किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को इस बारे में पत्र भी भेजा था।
झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और यहाँ की बड़ी आबादी सरना धर्म को मानती है। ये लोग प्रकृति, पेड़-पौधों, पहाड़ और जंगल की पूजा करते हैं। उनका धर्म प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ा हुआ है, जो बाकी धर्मों से अलग है। आदिवासी समुदाय बहुत समय से इस धर्म को आधिकारिक पहचान देने की मांग कर रहा है। आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संकट से जूझ रही है, तब सरना धर्म जैसे प्रकृति पूजक धर्म को पहचान मिलने से एक सकारात्मक संदेश जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने सांसदों से अपील की है कि वे इस मांग को संसद में उठाएं और आदिवासी समाज को उनका धार्मिक हक दिलाएं।