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बाबूलाल झूठ की राजनीति कर रहे, आदिवासियों की नहीं अपनी सियासी जमीन बचाने में लगे हैं: इरफान अंसारी

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रांची
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने रिम्स-2 परियोजना को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी द्वारा लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए उन्हें "झूठ की राजनीति का झंडाबरदार" करार दिया है। उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी आदिवासी हितैषी बनने की दिखावटी कोशिश कर रहे हैं, जबकि उनका अतीत आदिवासी विरोधी रुख से भरा पड़ा है।  वे अपनी सियासी जमीन बचाने की कोशिश में हैं. डॉ. अंसारी ने कहा, "जब रघुवर दास की सरकार ने विधानसभा भवन और स्मार्ट सिटी के नाम पर आदिवासियों की जमीन छीनी, तब बाबूलाल मरांडी चुप क्यों थे? उस वक्त न संवेदना जागी, न संविधान याद आया।" उन्होंने स्पष्ट किया कि रिम्स-2 किसी आदिवासी या किसान की निजी जमीन पर नहीं, बल्कि पूरी तरह से राज्य सरकार की जमीन पर बन रहा है। "भाजपा झूठ फैलाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। बाबूलाल मरांडी आदिवासियों को भड़का कर सस्ती राजनीति कर रहे हैं," उन्होंने कहा। 


स्वास्थ्य मंत्री ने मरांडी की विचारधारा पर सवाल उठाते हुए कहा, "जब भाजपा में नहीं थे, तब खुद को सेक्युलर कहते थे। अब आदिवासी कार्ड खेलकर राजनीति की जमीन तलाश रहे हैं।" उन्होंने जामताड़ा में भाजपा कार्यालय के लिए आदिवासी भूमि के अधिग्रहण का भी जिक्र किया और पूछा, "तब उनकी संवेदनशीलता कहां थी? क्या वह जमीन आदिवासियों की नहीं थी?" डॉ. अंसारी ने रिम्स-2 को झारखंड की जनता का सपना बताते हुए कहा कि यह परियोजना अत्याधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं को आम लोगों तक पहुंचाने का प्रयास है। "रिम्स पर मरीजों का अत्यधिक दबाव है। रिम्स-2 से इलाज की गुणवत्ता और सुलभता दोनों में सुधार आएगा। यह फैसला पूरी तरह जनहित में है।"
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासियों और मूलवासियों की सरकार है, न कि भाजपा जैसी "दलालों की पार्टी" की। "यह सरकार सभी वर्गों को साथ लेकर चल रही है, यही समावेशी सोच भाजपा को खटक रही है," उन्होंने जोड़ा।


बाबूलाल मरांडी को सलाह देते हुए डॉ. अंसारी ने कहा, "अगर उन्हें राज्य के विकास की चिंता है तो जनकल्याणकारी परियोजनाओं का विरोध छोड़कर समर्थन करें। लेकिन वे सिर्फ अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।"
अंत में उन्होंने दो टूक कहा, "हम जनता से झूठ नहीं बोलते। रिम्स-2 पूरी तरह सरकारी जमीन पर बन रहा है। बाबूलाल मरांडी अगर सच्चे हैं तो सबूत पेश करें, वरना सस्ती लोकप्रियता के लिए आदिवासियों के नाम पर राजनीति न करें।"

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