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पहले दफ्तरों में था दलालों का कब्जा, पूर्ववर्ती सरकारों की सेवा में रहते अधिकारी: हेमंत सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः 
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज सरायकेला खरसावां में सरकार आपके द्वार के तीसरे चरण के कार्यक्रम में शामिल हुए हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि अब राज्य का कोई ऐसा कोना बचने वाला है जहां सरकार नहीं पहुंचेगी। आपके जिले के दूसरे पंचायतों में भी शिविर लगा है। वहां भी लोग अपने लिए योजनाएं ढूंढ रहे हैं सरकार के द्वारा अलग अलग योजनाएं जो बनाई गई है। उसको लेने का प्रयास कर रहे हैं। पहला चरण हमने 2021 में, दूसरा चरण 2022 में और तीसरा चरण 2023 में। सभी पंचायतों में ये शिविर लगना है। शिविर के माध्यम से जो हमने चुनाव के पहले कहा था कि हमारी सरकार हेडकावर्टर से विकास का पैमाना नहीं पूछेगी। बल्कि गांव-गांव जाकर वहां से लोगों से पूछ-पूछकर वहां के आवेदन के आधार पर कार्ययोजना बनाएगी। पहला शिविर में 35 लाख आवेदन मिला दूसरी बार 55 लाख। यानि पूरा मिलाकर 1 करोड़ से भी ज्यादा आवेदन आ गया था। तब हमने  माथा पकड़ लिया कि 20 साल क्या काम किया पूर्ववर्ती सरकार ने। इतनी समस्याओं का भंडार कैसे आ गया। पूर्व की सरकार ने कोई सुधी ना ली। ना किसान की, ना बुढ़ा-बुजुर्ग की। ना असाहय के लिए, ना नौजवान के लिए। उन लोगों के लिए हम योजना लेकर आए सबसे पहले हमने सामजिक सुरक्षा देने का निर्णय लिया। इसलिए हमने सबसे पहले बूढ़े बुजुर्गों के लिए पेंशन देने का कानून बनाया


दलालों का कब्जा था कार्यालयों में 
सीएम ने कहा कि इतना बड़ा सरकारी महकमा है कर्मचारियों का। जहां सरकारी बजट का आधा पैसा उनका वेतन देने में चला जाता है। वो कर्मचारी खाली बैठे रहते थे। जब करोड़ों आवेदनों को हमने देखा तब पता चला कि ब्लॉक कार्यालय काम नहीं कर रहा है। वहां दलालों ने कब्जा कर लिया। आवेदन देखकर ये लगा कि जिला कार्यालय काम नहीं कर रहा है। वहां भी दलालों ने कब्जा कर लिया। जो कर्मचारी का जिम्मा आपको सेवा देने का था पूर्ववर्ती सरकारों ने उन्हें अपने काम में लगा लिया था। और अपना जेब भरने का काम किया। हमने सभी आवेदनों की सूची बनाई। समस्याओं का समाधान करना शुरू किया। हमने आंकलन किया कि सरकार के पास कितने संसाधन हैं। इसके आधार पर हमने काम करना शुरू किया। हम जानते हैं कि झारखंड पिछड़ा राज्य है। इस राज्य को पिछड़ा नहीं होना चाहिए था। इसे योजनाबद्ध तरीके से पिछड़ा किया गया। पहले सरकार सरप्लस बजट होता था। आज घाटे का बजट पेश होता है। कहां चला गया पैसा। पहले अमीर थे अब गरीब कैसे हो गये। झारखंड को अलग करने में कितने शहीद हो गये। दिशोम गुरू शिबू सोरेन ने पूरी जिंदगी राज्य को दे दिया लेकिन आज जिस जगह पर राज्य को होना चाहिए था वहां नहीं। अब पेंशन के लिए किसी दलाल की जरूरत नहीं है। 


हम मुर्गीखाना नहीं देंगे, सुसज्जित घर देंगे
केंद्र ने घोषणा किया कि पूरे देश के गरीबों को हम आवास दे देंगे। लेकिन बाद में सरकार मुकर गई। अब पीएम आवास बंद हो या। लेकिन हमारे आंकड़े में 8 लाख लोग ऐसे हैं जिनको आवास देना अनिवार्य है। लेकिन जिस तरह से आवेदन आ रहे हैं। उसे देखते हुए यही हमने कहा कि 2 काउंटर लागाईए। जांच के बाद हमको जिसका भी लगेगा कि हमको आवास देना चाहिए उनको हम अपने खर्चे पर आवास देंगे। हम मुर्गीखाना नहीं देंगे। हम तीन कमरों का सुसज्जित आवास देंगे। इसके लिए हमें पहले चरण में 15 हजार करोड़ जुटाना है। आवेदन जितना आ रहा है उससे यही लग रहा है कि और अधिक पैसे की जरूरत होगी। लेकिन केंद्र हमारा पैसा नहीं दे रहा है।