द फॉलोअप डेस्क
पारसनाथ पहाड़ी को लेकर उत्पन्न विवाद में आदिवासी समाज ने अपना दावा ठोका है। जेएमएम विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि पारसनाथ हमेशा से आदिवासियों का मरांगबुरु धर्मस्थल रहा है। 1956 के गैजेट के अनुसार पारसनाथ का नाम मरंगबुरू भी होना चाहिए। उस पहाड़ी के चारों ओर मूल आदिवासियों का घर है। प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि कुछ सदी पहले एक जैन मुनी वहां तप करने आए थे। जहां उनका निधन हो गया। इसके बाद उनका वहीं समाधि बना दी गई। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि पूरा पारसनाथ जैनियों का हो गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों गलत दिशा में चल रही है। इसके साथ ही उन्होंने दोनों के निर्णय को गलत बताया है।
आदिवासियों का भी मरांगबुरु धर्मस्थल हो घोषित
जेएमएम विधायक और झारखंड बचाओ मोर्चा के मुख्य संयोजक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि पारसनाथ की पहाड़ी सिर्फ जैनियों का धर्म तीर्थ स्थल घोषित ना हो आदिवासियों का भी मरांगबुरु धर्मस्थल घोषित हो। इस लिए मोर्चा मुख्यमंत्री को 25 जनवरी तक अल्टीमेटम देती है। यदि मांग पूरी नहीं होती है तो 30 जनवरी को उलीहातू में उपवास किया जाएगा। इस पूर्व 10 जनवरी को पारसनाथ पर पूरे देश के आदिवासियों का महाजुटान होगा। इस मौके पर इस मौके पर नरेश मुर्मू, पीसी मुर्मू, अजय उरांव, सुशांतो मुखर्जी, एलएन उरांव, निरंजना हेरेंज टोप्पो सहित कई लोग शामिल रहे।