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Ranchi : सुखाड़ के साए में झारखंड के 180 प्रखंड, मुख्य सचिव ने हाई-लेवल मीटिंग में दिए अहम निर्देश

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रांची: 

झारखंड के 180 प्रखंडों में सुखाड़ का खतरा मंडरा रहा है। समय के साथ इस आंकड़े में बदलाव संभव है। गुरुवार को मुख्य सचिव सुखदेव सिंह की अध्यक्षता में उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई गई थी। मुख्य सचिव ने सभी जिलों के डीसी को निर्देश दिया है कि फसल राहत योजना के तहत किसानों के रजिस्ट्रेशन के काम में तेजी लाई जाये। पंजीकृत किए जाने से पहले दस्तावेजों की जांच हो। गौरतलब है कि झारखंड में अनियमित मानसून की वजह से सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गई है। 

18 लाख हेक्टेयर में होती थी धान की खेती
कृषि विभाग की ओर से मुख्य सचिव को बताया गया है कि राज्य के 18 लाख हेक्टेयर में धान की फसल होती थी। हालांकि, इस बार केवल 30 फीसदी ही रोपनी हो पाई है। कृषि निदेशक निशा उरांव ने बताया कि सुखाड़ की संभावना को लेकर लगातार समीक्षा बैठक की जा रही है। अनुमन है कि इस बार प्रदेश में 60 प्रतिशत कम अनाज का उत्पादन होगा। वैकल्पिक खेती को लेकर विभाग काम कर रहा है। कम पानी में तैयार होने वाली फसलों पर फोकस किया जा रहा है। कृषि विभाग की तरफ से संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए गये हैं। वैकल्पिक फसल के बीच  किसानों को जल्द ही उपलब्ध कराए जाएंगे। 

सुखाड़ घोषित करने की प्रक्रिया क्या होती है! 
कृषि निदेशक निशा उरांव ने कहा कि किसी प्रदेश में जिलों या प्रखंडों को सुखाड़ क्षेत्र घोषित करने की एक प्रक्रिया होती है। सुखाड़ घोषित करने के लिए केंद्र सरकार का क्या मानदंड है उसे देखना होगा। सुखाड़ से प्रभावित प्रखंडों की सूची आपदा प्रबंधन विभाग को भेजी जायेगी।  केंद्रीय टीम चिह्नित प्रखंड तथा जिलों का दौरा करेगी। फिर सर्वे रिपोर्ट बनेगा। 

मुख्यमंत्री ने केंद्र से मांगा है विशेष राहत पैकेज
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी कई बार सार्वजनिक मंच से झारखंड में मानसून की अनियमितता से पैदा हुई सुखाड़ की स्थिति का जिक्र कर चुके हैं। यही नहीं, नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से राज्य के लिए विशेष पैकेज की मांग भी कर चुके हैं। कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने भी सुखाड़ की संभावना को लेकर कई समीक्षा बैठकें की हैं।