द फॉलोअप डेस्क, रांची
पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी नेता चंपाई सोरेन की 'हो' भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर सियासत तेज हो गयी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट को रीट्वीट किया है। दरअसल, यह पोस्ट जनजातीय भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने से संबंधित है। पत्र में संथाल और कोल्हान में बोली जाने वाली जनजातीय भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग केंद्र सरकार से की गई थी। 4 साल पहले ही हेमंत सोरेन ने केंद्र को पत्र लिख कर झारखंड की जनजातीय भाषाएं हो, मुंडारी और कुड़ुख को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी। लेकिन, केंद्र की ओर से इन भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर अब तक सुस्त रवैया अपनाया गया।
चंपाई सोरेन द्वारा 'हो' भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर सियासत गर्म
बता दें कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह को एख पत्र लिखकर आदिवासी भाषा 'हो' को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। बीजेपी में शामिल होने के बाद चंपाई की इस मांग पर सियासत गर्म हो गया है। झामुमो ने एक्स पर तंज कस्ते हुए लिखा कि झारखंड की जनजातीय भाषाएं हो, कुड़ुख, और मुंडारी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग मुख्यमंत्री हेमंत सोरन 4 साल पहले ही कर चुके हैं। झामुमो की ट्वीट को हेमंत सोरन ने रीट्वीट किया है। झामुमो ने लिखा कि "झारखंड विरोधी बीजेपी केंद्र सरकार की नींद कब खुलेगी? सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग पर भी बीजेपी केंद्र सरकार का बड़ा ही सुस्त रवैया रहा है।"
आठवीं अनुसूची में शामिल करने के ये हैं फायदे
हो, मुंडारी और कुड़ुख को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के कई फायदे हैं। आठवीं अनुसूची में शामिल होने से किसी भी भाषा को उसकी अपनी पहचान मिल जाती है। उन भाषाओं के विकास के लिए सरकार अनुदान राशि देती है। इसके अलावा उन भाषाओं के एकेडमिक एक्जाम दिए जा सकते हैं। इसके साथ ही इन भाषाओं में साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया जाता है। यही नहीं NCERT में इन भाषाओं की किताबें छपनी शुरू हो जाती हैं। यही वजह है कि इन भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जा रही है। बता दें कि देश भर की 22 भाषाएं ऐसी हैं जिन्हें आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी द्वारा
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) September 17, 2024
हो, मुंडारी, कुँड़ुख़/उरांव भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केंद्र सरकार को लिखे पत्र को 4 साल से अधिक हो गए हैं।
झारखंड विरोधी भाजपा केंद्र सरकार की नींद कब खुलेगी?
सरना आदिवासी धर्म कोड की मांग पर भी भाजपा केंद्र सरकार का बड़ा… pic.twitter.com/0PjRv30E81