रांची
झारखंड में वाहनों पर नेम प्लेट लगाने के नियम में संशोधन किया गया है। राज्य सरकार के परिवहन विभाग ने इस संबंध में नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें बताया गया है कि कौन से अधिकारी वाहनों पर नेम प्लेट, बोर्ड और पट्टा लगा सकते हैं। यहीं नहीं, वाहनों पर लगने वाले नेम प्लेट और बोर्ड के रंग व आकार को लेकर भी गाइडलाइन जारी की गयी है। नई गाइडलाइन के अनुसार वन सेवा, वाणिज्यकर सेवा के अफसरों के साथ पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी अब वाहनों पर नेम प्लेट लगा सकेंगे। नये संशोधन के मुताबिक कंडिका चार में पुलिस महानिरीक्षक के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक को नेम प्लेट लगाने की अनुमति दी गयी है। साथ ही आरक्षी अधीक्षक के बाद अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, उप वन संरक्षक, उप निदेशक, प्रबंधक निदेशक, महाप्रबंधक, प्रमंडलीय प्रबंधक, अध्यक्ष और झरखंड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, सचिव और सदस्य को इस सूची में रखा गया है। प्रवर्तन पदाधिकारी, कर्मचारी चयन आयोग के अध्यक्ष, वन क्षेत्र पदाधिकारी, राज्य कर अपर आयुक्त, राज्य कर संयुक्त आयुक्त, राज्य कर उपायुक्त भी अपने वाहनों में नेम प्लेट का इस्तेमामल कर सकेंगे। नई गाइड लाइन में बाकी सूची को पूर्ववत रखा गया है।
किस तरह का नेम प्लेट और बोर्ड लगा सकेंगे अधिकारी
गाइड लाइन में अफसरों द्वारा लगाये जाने वाले नेम प्लेट के आकार औऱ रंग का भी जिक्र किया गया है। परिवहन विभाग ने विधायिका और कार्यपालिका के कई अफसरों को नेम प्लेट के साथ बोर्ड लगाने की भी अनुमति दी है। कहा है कि नेम प्लेट होने पर वाहन का निबंधन नंबर नहीं छिपना चाहिये। वहीं, नेम प्लेट 18 इंच लंबा और छह इंच चौड़ा होना चाहिये। विधायिका के अधिकारियो के लिए हरा, न्यायपालिका, वैधानिक आयोग कार्यपालिका और केंद्रीय कार्यालय के लिए लाल और विधि व्यवस्था संधारण व प्रवर्तन पदाधिकारी के लिए नीला रंग के बोर्ड का प्रावधान किया गया है।
निजी वाहनों में नेम प्लेट लगाना असंवैधानिक
परिवहन विभाग के सचिव कृपानंद झा की ओर से नई गाइडलाइन जारी की गयी है। सचिव ने इस बाबत बताया कि पूर्व के अधिसूचना में इन अफसरों को नेम प्लेट लगाने की अनुमति नहीं थी। अब ये अधिकारी भी राज्य सरकार से अनुमति लेकर वाहनों में नेम प्लेट लगाने के अधिकारी होंगे। परिवहन विभाग ने प्राइवेट वाहनों में किसी तरह का नेम प्लेट लगाने की अनुमति नहीं दी है। किसी वाहन पर कोर्ट, आर्मी, पुलिस, प्रेस, सरकार, प्रशासन आदि लिखने पर कार्रवाई होगी। आर्थिक दंड लगाया जायेगा, जो दो हजार रुपये तक हो सकता है।