द फॉलोअप डेस्क
झारखंड हाईकोर्ट में आज राज्य में एमपी-एमएलए के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले के त्वरित निष्पादन को लेकर कोर्ट के स्वत संज्ञान की सुनवाई हुई। मामले में झारखंड में एमपी-एमएलए के 12 लंबित आपराधिक मामलों की अद्यतन स्थिति सीबीआई की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर बताई गई। CBI ने अदालत को बताया कि अलकतरा घोटाला से संबंधित बिहार के पूर्व मंत्री इलियास हुसैन के मामले में फैसला आ गया है और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई गई है। वहीं, एक अन्य मामला ट्रायल के अंतिम चरण में है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 9 जुलाई को निर्धारित की गई है।
दरअसल, पिछली सुनवाई में एमिकस क्यूरी ने अदालत को अवगत कराया था कि झारखंड में MP-MLA से जुड़े कई मामलों में आरोप पत्र दायर होने के बाद आरोप तय करने में ही छह साल तक का समय लग जाता है, जिससे पूरे मुकदमे को पूरा होने में कई साल और लग जाएंगे। एमिकस क्यूरी ने यह भी आरोप लगाया था कि सीबीआई की मंशा ही जल्द ट्रायल पूरा करने की नहीं है। इसके जवाब में सीबीआई ने पिछली सुनवाई में बताया था कि राज्य में MP-MLA से संबंधित 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 9 मामले रांची सिविल कोर्ट में और 3 मामले धनबाद कोर्ट में विचाराधीन हैं। सीबीआई ने तब लंबित मामलों में ट्रायल की स्थिति पर विस्तृत जानकारी देने का आश्वासन दिया था।
गवाहों को जल्द लाने में CBI की असफलता-HC
पूर्व की सुनवाई के दौरान, खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित संस्था गवाहों को समय पर अदालत में पेश करने में असफल साबित हो रही है। अदालत ने यह भी कहा था कि ट्रायल में देरी से गवाहों में डर का माहौल बना रहता है। सीबीआई ने स्वयं एक मामले में यह स्वीकार किया था कि गवाहों को धमकाने की आशंका के मद्देनज़र उनकी गवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से करवानी पड़ी थी। हाईकोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया था कि ट्रायल में देरी होने से गवाहों पर नकारात्मक असर पड़ता है और उनकी गवाही भी प्रभावित होती है