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अभियान ने CM हेमंत को लंबित वादों को याद दिलाई, कहा- विधानसभा चुनाव से पहले पूरी करें मांगें 

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रांची 

आज लोकतंत्र बचाओ अभियान, अबुआ झारखंड, अबुआ राज ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर उनके द्वारा किये गए वादों, जो अपूर्ण हैं, को याद दिलाया और विधानसभा चुनाव से पूर्व इन पर कार्यवाही की मांग की। अभियान ने पत्र में मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि लोकसभा चुनाव में अभियान ने लोगों को जन मुद्दों और संविधान पर हो रहे हमलो के विरुद्ध संगठित किया था। जिसका परिणाम पांच आदिवासी सीटों पर देखने को मिला। अभियान का स्पष्ट मानना है कि मोदी सरकार, आरएसएस व बीजेपी झारखंड, लोकतंत्र, संविधान और मेहनतकश वर्ग के लिए सबसे बड़े खतरे हैं। ऐसी परिस्थिति में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव की अहमियत और बढ़ जाती है। सरकार के अनेक वादे अभी भी अपूर्ण हैं। 

अभियान ने जल, जंगल, ज़मीन, स्वशासन से सम्बंधित यादों और मुद्दों को याद दिलाया है। पूर्व की बीजेपी सरकार द्वारा राज्य के 22 लाख एकड़ गैर-मजरुआ व सामुदायिक ज़मीन को लैंड बैंक में डाल दिया गया था। लैंड बैंक को तुरंत रद्द किया जाए। ईचा-खरकाई डैम योजना, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज योजना व लुगु बुरु में पॉवर प्लांट योजना को पूर्ण रूप से रद्द किया जाए। विस्थापन सह पुनर्वास आयोग का गठन हो। वन अधिकार कानून अंतर्गत सामुदायिक पट्टों का वितरण किया जाए व वन ग्रामों का नियमतिकरण हो ताकि आदिवासी व वन पर आधारित समुदाय अपने अधिकारों से वंचित न हो। भूमिहीन परिवारों, खास कर दलितों, को पर्याप्त भूमि पट्टा का आवंटन हो।

साथ ही, पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासियों के स्वसाशन के अधिकारों को पेसा के संगत पुर्णत लागू किया जाए और पेसा नियमावली का गठन हो। सर्वोच्च न्यायलय के 25 जुलाई 2024 के निर्णय अनुसार राज्य सरकार तुरंत खनन पर राज्य कर लगाये एवं उसका कम-से-कम आधा हिस्सा ग्राम सभा को दे। क्षेत्र अनुरूप आदिवासी भाषाओँ के पर्याप्त शिक्षक नियुक्त किये जाये। गठबंधन दलों ने वादा किया था कि लम्बे समय से जेलबन्द विचाराधीन कैदियोंको रिहा किया जायेगा। लेकिन इस ओर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इसके साथ-साथ फर्जी मामलों में फंसे आदिवासी-मूलवासियों व वंचितों के मामलों को बंद करने के लिए उच्च स्तरीय न्यायिक जांच का गठन हो।


अभियान की ओर से अफ़जल अनीस, अजय एक्का, अंबिका यादव, अमृता बोदरा, अंबिता किस्कू, अलोका कुजूर, अरविंद अंजुम, बासिंग हस्सा, भरत भूषण चौधरी, भाषण मानमी, बिनसाय मुंडा, चार्ल्स मुर्मू, दिनेश मुर्मू , एलिना होरो, एमिलिया हांसदा, हरि कुमार भगत, ज्याँ द्रेज, ज्योति कुजूर, कुमार चन्द्र मार्डी, किरण, लीना, लालमोहन सिंह खेरवार, मानसिंग मुंडा, मेरी निशा हंसदा, मंथन, मुन्नी देवी, नंदिता भट्टाचार्य, प्रवीर पीटर, रिया तूलिका पिंगुआ, पकू टुडु, रामचंद्र मांझी, राजा भारती, रमेश जेराई,  रेशमी देवी, रोज़ खाखा, रोज मधु तिर्की, शशि कुमार, संदीप प्रधान, सिराज दत्ता, सुशील मरांडी, सेबेस्टियन मरांडी, संतोष पहाड़िया,  टॉम कावला व विनोद कुमार ने पत्र में हस्ताक्षर किया है। 


 

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