डेस्क:
रविवार (19 जून) को वुमेन डॉक्टर्स विंग आई. एम. ए. झारखंड एवं स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वाधान में “स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन शिविर” का आयोजन रविन्द्र भवन, जमशेदपुर में किया गया। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और राष्ट्रीय आई. एम. ए. के अध्यक्ष डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह ने प प्रज्वलित कर शिविर का उद्घाटन किया गया।
दिल्ली की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ हुईं शामिल
इस मेगा महिला स्वास्थ्य शिविर में मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली की प्रशिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कनिका गुप्ता की टीम द्वारा शिविर में आने वाले सभी महिला मरीजों की जांच की गई एवं इसके साथ ही 12 महिलाओं में सर्वाइकल प्री-कैंसर पाया गया जिन्हें कैंप स्थल पर ही कोल्पोस्कोप गाइडेड क्रायो ट्रीटमेंट दे कर उन्हें कैंसर से मुक्त किया गया। झारखंड की 30 सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञों को सर्वाइकल प्री-कैंसर की डिजिटल वीडियो कॉलपोस्कॉप से जांच एवं क्रायो से उपचार का प्रशिक्षण भी प्रदान कराया गया।
महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर है सरकार!
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड में महिलाओं के उचित देखभाल और स्वास्थ्य के प्रति गंभीर है, हमारी सरकार महिलाओं के सुरक्षित स्वास्थ्य और बीमारियों से लड़ने के लिए विभिन्न तरीको से प्लान बनाकर कार्य कर रही हैं, राज्य सरकार ने संकल्प लिया है कि सर्वाइकल कैंसर को जड़ से खत्म करेंगे, उन्होंने बताया कि महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद उनके जीवन और शिशु का उचित ख्याल रखने के लिए भी कार्ययोजना तैयार कर कार्य कर रही है।
मेगा महिला स्वास्थ्य शिविर की जरूरी रिपोर्ट
कैंप में कुल 351 मरीजों की जांच की गई जिनमें से कुल 210 महिलाओं में जेनाईटल इन्फेक्शन पाया गया। 12 महिलाओं में सर्वाइकल प्री-कैंसर पाया गया जिन्हें कैंप स्थल पर ही कोल्पोस्कोप गाइडेड क्रायो ट्रीटमेंट दे कर उन्हें कैंसर से मुक्त किया गया। शिविर में आने वाली सभी महिलाओं को 1 महीने की आयरन फोलिक एसिड एवं कैल्शियम की गोलियां मुफ्त बांटी गयी। जननांग से सफ़ेद स्त्राव यानी कि लुकोरिया से ग्रसित सभी महिलाओं को Kit 2 एवं Kit 6 की गोलियां मुफ्त में बांटी गयी।
महिलाओं में होने वाले कैंसर के आंकड़े क्या बताते हैं...
1. ब्रेस्ट कैंसर
शहरी महिलाओं में यह कैंसर सबसे अधिक पाया जाता है। ग्रामीण महिलाओं में यह दूसरा सामान्य तौर पर पाया जाने वाला कैंसर है। आजकल कम उम्र में ही स्तन कैंसर के मामले
सामने आने लगे हैं। यह स्तन में असामान्य रूप से कोशिकाओं के परिवर्तन और वृद्धि होने से होता है, यही कोशिकाएं मिलकर ट्यूमर बनाती हैं।
लक्षण- दूध जैसा सफेद पदार्थ या खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी रंग का स्पॉट दिखाई देना। कोई गांठ, अग्रभाग का धंसा हुआ होना, आकार में बदलाव होना।
2. सर्वाइकल कैंसर
इंडियन काउंसिल फॉर सर्वाइकल रिसर्च के मुताबिक़ सर्वाइकल कैंसर से भारत में वर्ष 2015 के दौरान क़रीब 63 हजार महिलाओं की मृत्यु हुई थी। यह ह्यूमन पैपिलोमा नामक वायरस से होता है जो यौन संबंध से फैलता है। यह कैंसर गर्भाशय ग्रीवा से शुरू होता है, जो गर्भाशय का सबसे निचला हिस्सा है। यहां से यह कैंसर धीरे-धीरे शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलता है।
लक्षण- रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव होना, सामान्य से अधिक रक्तस्राव, असामान्य डिस्चार्ज चेतावनी के संकेत हैं।
महिलाओं में सर्वाधिक ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर
भारत में महिलाओं में होने वाले कैंसर का 44.2% ब्रेस्ट एवं सर्वाइकल कैंसर का है। भारत में प्रति घंटे 7 महिलाओं की मृत्यु सर्वाइकल कैंसर से तथा ब्रेस्ट कैंसर से 10 महिलाओं की मृत्यु होती है। सर्वाइकल कैंसर एक प्रीवेंटेबल कैन्सर है एवं शुरुआती दौर पर इसका पता लगने पर पूरी तरह से इलाज संभव है।
झारखंड में उन्मूलन की दिशा में सार्थक प्रयास
डॉ भारती कश्यप, राष्ट्रीय सह-अध्यक्ष विमेन डॉक्टर्स विंग, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बताया कि हमारे 2015 से चल रहे सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन अभियान को एक नई गति और दिशा मिली है हमने इस में ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग को भी जोड़ा है। 2015 में जब हमने सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन अभियान विमेन डॉक्टर्स विंग झारखंड के बैनर तले पूरे झारखंड में शुरू किया था तब से अब तक हम तीन दिशा में काम कर रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों में महिला स्वास्थ्य शिविर
पहला है रूरल एरिया में महिला स्वास्थ शिविर का आयोजन करना, सभी सरकारी अस्पतालों के इंफ्रास्ट्रक्चर के सुदृढ़ीकरण में मदद करना और सरकारी जो महिला रोग विशेषज्ञ हैं उनको सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग और सर्वाइकल प्री-कैंसर के उपचार का प्रशिक्षण दिलवाना। झारखंड के 23 सदर अस्पताल में से 11 दर अस्पतालों में हम सर्वाइकल कैंसर की जांच एवं उपचार की मशीन लगाने में सफल भी हुए और मैंने खुद रांची सदर अस्पताल में अपने वित्तीय सहयोग से इस मशीन को लगाया। कई बार अमेरिका, दिल्ली और कोलकाता के कैंसर स्त्री रोग विशेषज्ञों से सरकारी स्त्री रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण भी दिलवाया।
2021 में हमने यह महसूस किया कि हम सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं।
2030 तक WHO की सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन नीति 90 70 90 की तीन प्रमुख बातें हैं -
• 15 वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते सभी किशोरियों का HVP वैक्सीनेशन हो जाए
• 35 वर्ष तक की प्रजनन क्षमता वाली 70% महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग हो जाए
• जननांग संबंधी सूजन वाली 90% महिलाओं को चिकित्सीय सुविधा मिल जाए
WHO की सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन नीति 90 70 90 के तीसरे भाग को अपनाकर हमने अपनी नई नीति बनाई। और स्वास्थ्य मंत्री जी को बताया WHO के अनुसार अगर हम जननांग संबंधी इंफेक्शन से ग्रसित 90% महिलाओं को चिन्हित कर उनका समुचित इलाज कर दे तो हम सर्वाइकल कैंसर पर रोक लगा सकते है। हमने जननांग संबंधी इंफेक्शन से ग्रसित 90% महिलाओं स्क्रीनिंग की जगह 100% महिलाओं की स्क्रीनिंग का लक्ष्य रखा। कैंसर स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ वेबीनारो के दौरान जो बात छन कर आई वह यह थी अगर हम प्रजनन क्षमता वाली ऐसी 6% महिलाओं की स्क्रीन करें जो हाई रिस्क कैटेगरी की हैं या जिनको संभावित लक्षण है उनका ट्रीटमेंट करें तो हम 100 परसेंट सर्वाइकल यानी गर्भाशय ग्रीवा के डिजीज से ग्रसित महिलाओं की स्क्रीनिंग में और इलाज में सफल हो सकते हैं और हम सर्वाइकल कैंसर पर रोक लगा सकते हैं।
प्रजनन छमता वाली ऐसी महिलाओं की झारखंड में संख्या 270000 है। हमने मंत्री बन्ना गुप्ता जी से बात की और उन्हें सारी बातों को बताया और राष्ट्रीय स्तर के कई कैंसर स्त्री रोग विशेषज्ञओ साथ कई वेबीनार भी किए। 2021 में ही हमारे सुझाव पर अमल करते हुए माननीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रजनन क्षमता वाली हाई रिस्क केटेगरी और संभावित लक्षण वाली 6% महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग को अनिवार्य कर दिया था।
सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है
इसके अलावा हमने माननीय स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध कर सुरक्षित मातृत्व योजना के अंतर्गत आने महीने के हर 9 तारीख को आने वाली ऐसी गर्भवती महिलाओं और उनके साथ में आने वाली परिवार की अन्य महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग को भी अनिवार्य बनवाया जो हाइ रिस्क कैटेगरी की है या उनमें कोई संभावित लक्षण है। इसके बाद पूरे राज्य में द्रुत गति से लक्ष्य के आधार पर सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग शुरू हुई थी और नतीजा सामने है कि 50% यानि 127000 प्रजनन छमता वाली ऐसी महिलाए जो हाई रिस्क या फिर संभावित लक्षण वाली है उनकी हम 2021-22 में कैंसर स्क्रीनिंग कर चुके हैं और जरूरत मंदों का ईलाज भी हो चुका है।
2022-23 में हमें आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि प्रजनन छमता वाली महिलाए जो हाई रिस्क या फिर संभावित लक्षण वाली है ऐसी 2,70,000 महिलाओं की जाँच एवं ईलाज के लक्ष्य को हम पूरी तरह से प्राप्त कर सकेंगें। वह दिन दूर नहीं जब डब्ल्यूएचओ विकासशील देशों के लिए झारखंड मॉड्यूल अपनाएगा।