बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष नीलकंठ सिंह मुंडा ने हेमंत सोरेन सरकार पर रघुवर कार्यकाल में हुए विकास कार्यों का क्रेडिट लेकर जनता को बेवकूफ बनाने का आरोप लगाया। नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि यदि बुनियादी ढांचा के विकास की बात करें तो झारखंड विधानसभा भवन, झारखंड हाईकोर्ट भवन, रांची प्रेस क्लब भवन और हज हाउस रघुवर सरकार की देन है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने अपने कार्यकाल में 22,865 किमी लंबी सड़क का निर्माण कराया लेकिन हेमंत सरकार महज 5200 किमी सड़क ही बना सकी। नीलकंठ सिंह मुंडा ने सरकार पर चहेतों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।
नीलकंठ सिंह मुंडा ने करप्शन के लगाए आरोप
नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि पिछले 4 साल में झारखंड में करप्शन के सारे रिकॉर्ड टूटे हैं। भवन और पथ निर्माण विभाग भी इससे अछूता नहीं है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश सरकार चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में 9 माह में भवन निर्माण में योजना मद का केवल 44.61 फीसदी राशि ही खर्च कर सकी है। उन्होंने कहा कि विभाग में स्वीकृत कुल 1,749 पदों में केवल 497 कर्मचारी ही काम करते हैं। 1252 पद खाली हैं। नीलकंठ सिंह मुंडा ने आरोप लगाया कि ठेकेदार पहले ही तय हो जाते हैं और बाद में दिखावे के लिए टेंडर जारी होता है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों पर गाइडलाइन की अनदेखी करने का आरोप लगाया। जमशेदपुर सर्किट हाउस भवन की 6.76 लाख रूपये की मरम्मति, सर्किट हाउस चहारदीवारी की 4.98 लाख रूपये से मरम्मति, 24.87 लाख की लागत से भालकी पंचायत भवन और इतनी ही लागत से सिंहपूरा पंचायत भवन की मरम्मति कार्य का मामला एक उदाहरण भर है।
हेमंत सरकार में अफसरशाही हावी होने का आरोप लगाया
नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि भवन निर्माण विभाग में अफसरशाही हावी है क्योंकि एमजीएम मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने गए स्वास्थ्य मंत्री का फोन सचिव ने नहीं उठाया। तबादले के वर्षों बाद भी जेई रिलीव नहीं हुए। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकांश प्रमंडल प्रभार व्यवस्था के भरोसे है। एक इंजीनियर कई इंजीनियरों का काम संभाल रहे हैं। कई जगहों पर कार्यपालक अभियंता का पद खाली है। उन्होंने कहा कि कहा कि चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के 9 महीने में पथ निर्माण के योजना बजट की 631 करोड़ की कुल राशि में से 56.65 प्रतिशत राशि ही खर्च हो सकी है। पथ निर्माण विभाग में स्वीकृत 3601 पद के मुकाबले केवल 1654 ही कार्यरत हैं जबकि 1947 पद रिक्त है।
नीलकंठ सिंह मुंडा ने डीएएफटी फंड के दुरुपयोग पर क्या कहा
प्रदेश बीजेपी उपाध्यक्ष ने कहा कि सुव्यवस्थित परिवहन व्यवस्था किसी भी राज्य में विकास का आईना मानी जाती है लेकिन, हेमंत सोरेन सरकार में सड़कों की बदहाल स्थिति जगजाहिर है। राजधानी रांची सहित ग्रामीण इलाकों की सड़के बदहाल हैं। कई कॉरिडोर परियोजनाएं जमीन तो कहीं फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण फंसी हुई हैं। पूरे राज्य में जमीन की लूट खसोट करने और करवाने वाली राज्य सरकार को राजधानी में सड़क के लिए जमीन नहीं मिल रही है। भू अर्जन कार्यालय में लगभग 600 करोड़ पड़े हुए हैं, भुगतान नहीं होने से कई प्रोजेक्ट का प्रभावित होना स्वाभाविक है। रैयतों को भुगतान नहीं हो रहा है, इस कारण भी कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य में डीएमएफटी फंड का दुरूपयोग तो हो ही रहा है, इसमें भारी लूट खसोट किया जा रहा है। कमीशन का खेल खुलेआम जारी है। जहां रास्ता भी नहीं वहां लाखों का पुल बनाया जा रहा है। जैसी सरकार वैसी ही उनकी योजनाएं। पूरी तरह दिशाहीन और लक्ष्य विहीन। लातेहार में डीएमएफटी फंड का दुरूपयोग करते हुए अलकतरा रोड के लिए 2.5 करोड़ का टेंडर निकाला गया परंतु पीसीसी सड़क बना दी जाती है। पथ निर्माण विभाग में इंजीनियरों की बड़ी कमी है।
इसमें सहायक अभियंता से लेकर कार्यपालक अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता, अभियंता प्रमुख के पद शामिल हैं। प्रभार व्यवस्था के भरोसे है विभाग।
लोहरदगा में 19.9 किमी लंबी बाईपास सड़क को केंद्र की मंजूरी
नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि लोहरदगा में केंद्र सरकार ने 2022 में 19.9 किलोमीटर बाईपास रोड की हरी झंडी दी है। अभी तक भूमि अधिग्रहण का काम पूरा नहीं होने से यह योजना ठंडे बस्ते में है। अपेक्षित गति नहीं पकड़ सकी है। झारखंड में 25 करोड़ तक का टेंडर लोकल ठेकेदार को देने का कितना लाभ स्थानीय युवाओं को कितना मिला है, यह सरकार को बतलाना चाहिए। सोनारी डोबो पुल से एनएच 33 को जोड़ने वाली एप्रोच सड़क जानलेवा हो चुकी है। 7.8 किमी में 170 गड्ढे हैं। इसमें 19-20 तो जानलेवा हैं। घाटशिला में बड़ाखुर्शी से काशिया तक निर्मित 2 करोड़ 60 लाख रुपए की सड़क में उगी भ्रष्टाचार की दरार साफ देखी जा सकती है। यह सड़क 3 माह में ही जर्जर होना शुरू हो गया। पथ निर्माण में भारी अनियमितता व लूट मची है।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़क की स्थिति जर्जर है। इसमें भ्रष्टाचार चरम पर है। कई स्थानों की सड़के बनने के साथ ही या बनने के कुछ माह बाद ही खस्ता हो रही हैं। करोड़ों की लागत से बनने वाली सड़कों का चंद महीनों में धंसना और जर्जर होना, विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को दर्शाता है।
सड़कों की मरम्मति के नाम पर सरकारी पैसों की लूट
नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि सड़कों की मरम्मति के नाम पर सरकारी पैसों की लूट जारी है। वास्तव में जो सड़के खस्ताहाल है, उस पर कोई ध्यान सरकार का नहीं है। 2022 में हजारीबाग के केरेडारी में एक ही सड़क का एक साथ दो विभाग से टेंडर कर दिया जाता है। एक डीएमएफटी फंड से तो दूसरा टेंडर आरईओ द्वारा। दोनों का शिलान्यास विधायक अम्बा प्रसाद ने किया। ग्रामीण इलाकों में सड़क नहीं होने की वजह से खटिया से गर्भवती को एंबुलेंस और अस्पताल तक पहुंचाने की खबरें आये दिन सामने आती रहती है। इस कारण लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है। यह राज्य सरकार के लिए शर्मनाक है। सड़क सहित विकास योजनाओं में जुड़ी कंपनियों को सुरक्षा देने में सरकार नाकाम रही है।
चतरा में नक्सलियों के डर से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की 40 करोड़ की 4 योजनाएं बंद कर ठेकेदार भाग तक खड़े हुए हैं। निर्माण साइट पर उग्रवादी हमले और आपराधिक गतिविधियां तो आम बात हो चुकी है।
प्रशासनिक उदासीनता और भू-माफियाओं की दबंगई के कारण हजारीबाग में 4 साल में 5.5 किलोमीटर का रिंग रोड नहीं बन पाया। 50.39 करोड़ की लागत से 05.528 किलोमीटर लंबे रिंग रोड में अब तक 2.5 किलोमीटर का ही निर्माण पूरा हो पाया है। पहले 17 मार्च 2021 तो बाद में अवधि विस्तार के बाद 17 मार्च 2023 तक पूरा करना था काम।