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वक्फ बिल पर भाजपा को बड़ी मुश्किलात की संभावना नहीं, पर एनडीए के घटक दलों की होगी परीक्षा

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द फॉलोअप डेस्क

आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने कहा, बिल पर उनकी पार्टी एनडीए के साथ

विवादित वक्फ संशोधन बिल दो अप्रैल को लोकसभा में पेश किया जाएगा। फिर राज्यसभा से इसे पारित कराने की सरकार कोशिश करेगी। इस क्रम में केंद्र की भाजपा सरकार के घटक दलों की भी इस बिल पर परीक्षा  होगी। संसद का बजट सत्र चार अप्रैल को समाप्त हो रहा है। इसलिए अगले दो दिनों तक सदन की कार्यवाही पर पूरे देश की नजर भी रहेगी। खास कर जदयू, टीडीपी, हम, लोजपा के अलावा झारखंड की क्षेत्रीय पार्टी आजसू पर प्रदेश के मतदाताओं की पैनी नजर है। चारों ही दल एनडीए के घटक दल हैं। केंद्र की सरकार का समर्थन कर रहे हैं।


वैसे जदयू और टीडीपी ने अब तक अपने स्टैंड का स्पष्ट खुलासा नहीं किया है। लोजपा (राम विलास) ने पहले इस बिल का पूरी तरह समर्थन नहीं किया था। हालांकि आजसू सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने कहा कि वह वक्फ बिल पर एनडीए के साथ हैं। जरूरी हुआ तो वे कुछ संशोधन का प्रस्ताव दे सकते हैं। लेकिन बिल के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के लिए जदयू और टीडीपी का समर्थन आवश्यक बताया जा रहा है। लेकिन राजनीतिक कालाबाजी में बिल पर वोटिंग के समय सदन का बहिष्कार कर भी ये दल भाजपा को लाभ पहुंचा सकते हैं। इस संभावना से अन्य राजनीतिक दल इंकार नहीं कर रहे हैं।

 

लोकसभा व राज्यसभा में दलीय अंकगणित
लोकसभा में सांसदों की कुल संख्या 543 है। लोकसभा से इस बिल को पास कराने के लिए एनडीए को 272 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। लोकसभा में फिलहाल एनडीए का आंकड़ा 293 है। इस नीचले सदन में जदयू और टीडीपी के सांसदों की संख्या 28 है। इस तरह इन दोनों ही दलों ने बिल का विरोध किया तो एनडीए का लोकसभा में आंकड़ा सिमट कर 263 हो जाएगा। इसी तरह राज्यसभा में एनडीए को बहुमत के लिए 119 सांसदों के समर्थन की जरुरत पड़ेगी। जबकि एनडीए के सांसदों की कुल संख्या 122 है। लेकिन जदयू और टीडीपी के छह सांसदों ने राज्यसभा में विरोध कर दिया तो एनडीए के सांसदों की संख्या घट कर 116 हो जाएगी। इसलिए केंद्र की भाजपानीत सरकार के लिए इस बिल को पास कराने में थोड़ी मुश्किल आ सकती है। पर राजनीतिक कलाबाजी दिखाते हुए जेडीयू और टीडीपी सांसदों ने लोकसभा और राज्यसभा में वोटिंग के समय सदन का बहिष्कार कर दिया तो केंद्र सरकार आसानी से इस बिल को पास कराने में सफल हो सकती है।

जदयू और टीडीपी के मान जाने के संकेत
इधर सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने जदयू और टीडीपी को मनाने में सफल हो गयी है। इन दोनों ही दलों ने केंद्र सरकार को तीन सुझाव दिए थे। भाजपा ने इन तीनों ही सुझावों को स्वीकार कर लिया है। उन सुझावों में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि नये अधिनियम को बैक डेट से लागू नहीं किया जाएगा। पुरानी मस्जिद,दरगाह या दूसरे मुस्लिम धार्मिक स्थलों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाए। मस्जिद, ईदगाह या अन्य किसी धार्मिक जमीन के मामले में फैसला लेते समय संबंधित राज्य सरकारों से भी राय ली जाए।

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