रांची
रांची के बेड़ो थाना पर शनिवार रात हुए हमले की जांच में पुलिस को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। शुरुआती जांच के अनुसार, यह हमला पूरी साजिश और योजना के तहत किया गया था, जिसमें राज्य के बाहर के लोगों की सक्रिय भूमिका सामने आई है। घटना के सिलसिले में पुलिस ने 25 नामजद और 275 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ से पहुंचे थे उकसाने वाले
बेड़ो के डीएसपी अशोक राम के मुताबिक, हमले में शामिल कई लोग मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से आए थे। इन बाहरी तत्वों ने स्थानीय ग्रामीणों को भड़काया और थाने पर हमला करने के लिए उकसाया। पुलिस के अनुसार, इन लोगों की पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने की कार्रवाई जारी है। जांच में यह भी सामने आया है कि इन लोगों ने भीड़ में भड़काऊ भाषण भी दिए।
भीड़ ने किया थाने और गाड़ियों पर हमला
डीएसपी ने जानकारी दी कि बेड़ो के महादानी मैदान में पड़हा महासम्मेलन का आयोजन प्रस्तावित था, लेकिन एक पक्ष के ग्रामीणों ने प्रशासन की अनुमति के बिना मैदान में अतिक्रमण हटाने और सफाई के लिए जेसीबी मशीन मंगवा दी। इसकी सूचना मिलते ही बेड़ो थाना पुलिस मौके पर पहुंची और कार्य को रुकवा दिया। थोड़ी देर में सीओ भी पहुंचे और ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि सरना स्थल के समीप जितना भी अतिक्रमण है, उसे अगले 24 घंटे के भीतर हटाया जाएगा। इस आश्वासन के बाद लोग अपने घर लौट गए। हालांकि, रात करीब साढ़े आठ बजे लगभग 250 ग्रामीण थाने पहुंचे और पुलिस पर दिन में जेसीबी चालक के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट का आरोप लगाते हुए थाने में तोड़फोड़ शुरू कर दी।
पुलिसकर्मी को आईं चोटें
शनिवार रात करीब साढ़े नौ बजे थाने में घुसकर पड़हा समाज के कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों से हाथापाई की और परिसर में तोड़फोड़ मचाई। इस घटना में थाना प्रभारी देवप्रताप प्रधान को चोटें आई हैं। बताया गया कि ग्रामीण अचानक बड़ी संख्या में (करीब 250 लोग) साढ़े आठ बजे थाने पहुंचे और पुलिस पर जेसीबी चालक के साथ बदसलूकी का आरोप लगाया। डीएसपी अशोक कुमार राम ने बताया कि पड़हा समाज के लोगों ने इसी आरोप के चलते हिंसक व्यवहार किया, हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस द्वारा जेसीबी चालक से मारपीट की पुष्टि नहीं हुई है।
संविधान और न्यायपालिका के खिलाफ बयान
डीएसपी ने बताया कि हमले से पहले महादानी मैदान में आयोजित एक सभा में कुछ असामाजिक तत्वों ने संविधान और न्यायपालिका को नहीं मानने की बात कही थी। जब अधिकारियों ने सभा में मौजूद लोगों से संवैधानिक संस्थाओं के प्रति राय पूछी, तो कई ने असहमति जताई और भीड़ को उकसाने लगे। पुलिस ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन असामाजिक तत्व पहले ही लोगों को भड़काने में सफल हो चुके थे।
पत्थलगड़ी से भी खतरनाक साजिश की आशंका
पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे एक गहरी साजिश है, जो पत्थलगड़ी आंदोलन से भी अधिक खतरनाक हो सकती है। जमीन की घेराबंदी को लेकर भी भड़काऊ भाषण दिए गए थे। फिलहाल इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और संदिग्धों की तलाश जारी है।