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भारतीय विरोध के बीच पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र ने बनाया सुरक्षा परिषद की समिति का अध्यक्ष, कांग्रेस ने पूछा केंद्र का स्टैंड

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द फॉलोअप डेस्क 
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने पाकिस्तान को अपनी 1988 प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है, जो अफगान तालिबान पर लगाए गए प्रतिबंधों की निगरानी करती है। यह जिम्मेदारी उसे 31 दिसंबर 2025 तक सौंपी गई है। साथ ही, पाकिस्तान को आतंकवाद निरोधक समिति (काउंटर-टेररिज़्म कमेटी) का उपाध्यक्ष भी बनाया गया है। इन नियुक्तियों पर भारत ने गंभीर आपत्ति जताई है, खासकर हाल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 25 पर्यटक और एक स्थानीय नागरिक मारे गए थे। भारत का आरोप है कि हमलावरों को पाकिस्तान से मदद मिली थी। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन खेड़ा ने इस पर केंद्र सरकार से उसका स्टैंड पूछा है।  


संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी मिशन ने इस घटनाक्रम को "एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि" बताया है। बयान में कहा गया कि ये नियुक्तियां पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय भूमिका और आतंकवाद के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता को स्वीकार करती हैं। जबकि भारत इन दावों को झूठा प्रचार मानता है और लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को बेनकाब करता रहा है।
सुरक्षा परिषद की इन समितियों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की नियुक्ति परिषद के सदस्य देशों की आपसी सहमति से होती है। पाकिस्तान को 1 जनवरी 2025 से 31 दिसंबर 2026 तक के लिए अस्थायी सदस्य चुना गया है।
इस फैसले के विरोध में भारत ने व्यापक राजनयिक अभियान चलाया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लगभग सभी सदस्य देशों से बात की, केवल पाकिस्तान, चीन और सोमालिया को छोड़कर। इसके अलावा, सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भी विभिन्न यूएनएससी सदस्य देशों की राजधानियों में भेजे गए, जिससे भारत का पक्ष स्पष्ट किया जा सके।
अब कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से सीधा सवाल किया है—भारत विरोध और आतंकी घटनाओं के बावजूद पाकिस्तान को इतनी अहम जिम्मेदारी क्यों दी गई, और भारत सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए?


क्या हैं ये समिति
1988 प्रतिबंध समिति की स्थापना सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1988 (2011) के तहत हुई थी। इसका काम तालिबान पर लगाए गए प्रतिबंधों की निगरानी करना, प्रतिबंधित व्यक्तियों की सूची की समीक्षा करना और सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट देना है। काउंटर-टेररिज़्म कमेटी की स्थापना 2001 में प्रस्ताव 1373 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक उपायों की निगरानी करना है। भारत की चिंताओं के बीच पाकिस्तान को इस तरह की जिम्मेदारियां सौंपे जाना न सिर्फ हैरान करने वाला है, बल्कि सुरक्षा परिषद की साख पर भी सवाल खड़े करता है।

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