द फॉलोअप डेस्क, रांची
आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपरा हमारी समृद्ध भारतीय एवं झारखंडी विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। झारखंड की 32 जनजातियां यहां की विविधता एवं समृद्धि का प्रतीक है। आदिवासी संस्कृति में अनूठी भाषाएं, नृत्य, संगीत, कला और विशेष शैलियां शामिल हैं. जिनका हमारी सांस्कृतिक विविधता में महत्वपूर्ण योगदान है। ये बातें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर कहा है.
आदिवासी समुदाय के महत्व, संस्कृति को समझने का दिवस है
बाबूलाल ने कहा कि तेजी से बढ़ती तकनीकी और आर्थिक प्रगति ने आदिवासी समुदायों के सांस्कृतिक धरोहरों को कुछ हद तक छूने का प्रयास किया है। इसके परिणामस्वरूप उनकी पारंपरिक जीवन शैली, विशेषताएं और ज्ञान धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं। ऐसे में आदिवासी समुदाय का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि हमें आदिवासी समुदाय के जीवन शैली और जरूरतों को समझने के साथ मिलकर संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखने का प्रयास करना होगा। यह परंपरा हम सभी को प्रकृति के साथ मिलकर जीने का सबक सिखाती है। सामूहिक प्रयास के साथ आगे बढ़कर हम आदिवासी समुदाय अपने देश और राज्य को परम वैभव तक पहुंचा सकते हैं।
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