रांची
झारखंड के पलामू जिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 251 अनुसेवकों को बर्खास्त कर दिया गया है। हालांकि 239 बर्खास्त अनुसेवक, राजेंद्र राम के नेतृत्व में, सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर चुके हैं। कई दिव्यांग और सेवा निवृत्ति के करीब कर्मचारी भी प्रभावित हैं। यह मामला 2010 में फोर्थ ग्रेड बहाली से जुड़ा है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अवैध करार दिया। 2010 में चौथे दर्जे के कर्मचारियों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। 22,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया, लेकिन 2017-18 में हुई नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ियों का आरोप लगा। अभ्यर्थी अमृत यादव ने इस बहाली को चुनौती दी, क्योंकि पहले उनका चयन हुआ था, लेकिन बाद में बदले हुए पैनल में नाम नहीं था। हाईकोर्ट से राहत न मिलने पर वे सुप्रीम कोर्ट गए, जिसने बहाली को रद्द कर दिया।
बर्खास्तगी का आदेश और विरोध
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पलामू डीसी ने सभी 251 अनुसेवकों को बर्खास्त कर दिया। 22 फरवरी को पत्र जारी हुआ, और 23 फरवरी को यह आधिकारिक रूप से कर्मचारियों को बताया गया। प्रभावित कर्मचारियों ने पलामू के शिवाजी मैदान में इकट्ठा होकर विरोध जताया। उनका कहना है कि सरकार और प्रशासन ने उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की। बर्खास्त अनुसेवकों का कहना है कि झारखंड के अन्य जिलों में भी इसी तरह की बहाली हुई थी। लेकिन, कुछ अनुसेवकों को हटाया गया, जबकि कुछ को नहीं, जिससे यह फैसला विवादित बन गया है।