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नाराज विधायक भूषण बाड़ा, सोनाराम सिंकू और राजेश कच्छप केसी वेणुगोपाल से मिले, बदलाव के मिले संकेत

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द फॉलोअप डेस्कः 
झारखंड के नाराज कांग्रेस विधायक अब दिल्ली से रांची लौटने की तैयारी में हैं। प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पार्टी के 12 विधायक नाराज चल रहे थे। उनमें से 8 विधायक अपनी नाराजगी जाहिर करने दिल्ली पहुंचे थे, जहां उन लोगों ने कांग्रेस के आलाकमान और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। कांग्रेस के विधायक 72 घंटे से दिल्ली में डटे हुए थे तब जाकर केसी वेणुगोपाल ने विधायकों से एक-एक कर मुलाकात की। बुधवार को भी कुछ विधायकों की मुलाकात आलाकमान से हुई है। जिसमें सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा, खिजरी विधायक राजेश कच्छप, जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिंकू शामिल हैं। 


काफी गंभीरता से सुनी गई है मांग 
इस मुलाकात में विधायकों की तरफ से कई मांगें रखी गई है। जिसमें एक मांग यह भी है चारों कांग्रेस कोटे के मंत्रियों का चेहरा बदला जाना चाहिए। साथ ही वन मैन वन पोस्ट की मांग पर भी जोर दिया गया। इसके साथ ही 12वां मंत्री कांग्रेस कोटे का हो। जानकारी मिली है कि इन विधायकों की मांग को केसी वेणुगोपाल ने गंभीरता से सुना है। मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल संकेत भी आलाकमान की तरफ से विधायकों को मिला है। केसी वेणुगोपाल ने विधायकों को आश्वासन भी दिया कि आलाकमान की नजर पूरे प्रकरण पर है। विधायकों से कहा अपनी मांग रखें, लेकिन पार्टी का सम्मान करें। बता दें कि कल ही खबर आई थी कि केसी वेणुगोपाल से जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी, बरही उमाशंकर अकेला और बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने मुलाकात की थी। इससे पहले विधायकों ने मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से मुलाकात की और अपनी बातें रखी। 


पुराने मंत्रियों के कामकाज से नाराज हैं कार्यकर्ता 
इस पूरे मुलाकात के दौरान सभी विधायकों ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव को बताया कि जिन्हें दोबारा मंत्री बनाया गया है, उनसे आम जनता से लेकर कार्यकर्ता तक नाराज हैं। विधायकों की भी वे नहीं सुनते हैं। इससे क्षेत्र में कार्य करने में समस्या होती है। वह सत्ताधारी विधायक होकर भी अपने कोटे के मंत्रियों से काम नहीं करवा पा रहे हैं। इसकी शिकायत लगातार होती रही है। पूर्व कांग्रेस प्रभारियों ने मंत्रियों के कामकाज की रिपोर्ट ली थी। जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं से भी बात की थी। उनकी शिकायतों के आधार पर रिपोर्ट दी थी, लेकिन इसके बाद भी उन्हें फिर से मंत्री बना दिया गया।

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