द फॉलोअप डेस्क
गोड्डा नगर परिषद में क्रय किए जानेवाले 48 हाईमास्ट लाईट के टेंडर में भारी अनिमितता के आरोप लगे हैं। लिखित रूप में सौरभ पराशर द्वारा की गयी शिकायत के आलोक में नगर विकास एवं आवास विभाग के अपर सचिव ज्ञानेंद्र कुमार ने जांच के आदेश दिए हैं। गोड्डा डीसी को पूरे मामले की जांच करा कर विभाग को प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया है। सौरभ पराशर ने विभागीय मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू को एक पत्र लिख कर हाईमास्ट लाईट के टेंडर में हुई गड़बड़ी की शिकायत की थी। उसमें कहा गया है कि हाईमास्ट लगाने के लिए किसी संवेदक को कार्यादेश दिया गया है। लेकिन इस कार्यादेश को पूरी तरह गोपनीय रखा गया है। इतना ही नहीं इस संबंध में गोड्डा डीसी से भी उन्होंने शिकायत की थी। शिकायत के बाद हाईमास्ट लगाने का काम तेज कर दिया गया है। इसका उद्देश्य वर्तमान वित्तीय वर्ष में राशि की निकासी कर लेना है।
पराशर ने आरोप लगाया है कि गोड्डा नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी पूर्व में जामताड़ा नगर परिषद में भी पदस्थापित थे। जामताड़ा में पदस्थापन के दौरान भी उन पर हाईमास्ट लगाने में अनिमितता बरतने का आरोप लगाया गया था। पराशर ने मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि सबसे पहले 8 जनवरी 2025 को 41 हाईमास्ट क्रय संबंधी निविदा आमंत्रित की गयी थी। निविदा डालने की अंतिम तिथि 20 जनवरी 2025 थी। 25 जनवरी को निविदा डालने की तिथि से पहले 15 जनवरी को फिर जेम पोर्टल से 41 अदद हाईमास्ट लाईट के क्रय के लिए आमंत्रित की गयी। निविदा प्रकाशन में भी पीडब्ल्यूडी कोड का उल्लंघन किया गया। ढाई करोड़ से अधिक की निविदा में कम से कम टेंडर डालने के लिए 21 दिन का समय निर्धारित है, लेकिन 15 जनवरी को प्रकाशित निविदा में टेंडर डालने के लिए मात्र दस दिन का समय दिया गया।
पराशर के आरोप के अनुसार निविदा में कुल चार कंपनियों ने भाग लिया। इसमें दो कंपनियों की निविदा तकनीकी कारणों से रिजेक्ट कर दिया गया और मेसर्स एसके इंटरप्राइजेज और मेसर्स संतोष कुमार सिंह सफल घोषित कर दिया गया। इतना नहीं एक ही आईपी एड्रेस से निविदा डालनेवाली कंपनियों को तकनीकी रूप से सफल घोषित कर दिया गया, जो तय नियमों का खुला उल्लंघन है।