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आजसू विधायक लंबोदर महतो के बेटे ने किया कमाल, यूरोप की सबसे ऊंची चोटी पर फहराया तिरंगा

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पुत्र शशि शेखर ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस पर स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में फहराया तिरंगा

एक बार फिर से झारखंड का नाम किया गौरवान्वित

रांची : गोमिया से आजसू विधायक डॉ लंबोदर महतो के बेटे और झारखंड के पर्वतारोही शशि शेखर ने 17 अगस्त को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी, माउंट एल्ब्रुस (5,642 मीटर) पर स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में तिरंगा फहराया। रूस के कॉकस पर्वत श्रृंखला में स्थित इस पर्वत पर चढ़ाई कर उन्होंने एक नई उपलब्धि हासिल की और झारखंड का नाम रोशन किया।

शशि ने अपना अभियान 13 अगस्त को रांची की एडवेंचर कंपनी Lambda Adventures के साथ शुरू किया। इसकी शुरुआत ट्रेक्सोल से हुई जहां से वो आगे Garabashi (3,800 मीटर) में रुककर अपनी एक्लिमेटाइजेशन पूरी की और फिर Maria Shelter (4,200 मीटर) तक का सफर किया।

वहां उन्होंने मौसम साफ होने का इंतजार किया और 17 अगस्त को Summit Push के लिए निकल पड़े। हालांकि उस दिन भी तेज हवा चल रही थी, इसके बावजूद वे 17 अगस्त की सुबह करीब 8 बजे Summit पर पहुंच गए। शशि ने इस साहसिक यात्रा के दौरान अपनी शारीरिक और मानसिक ताकत को परखा और पर्वतारोहण के प्रति अपने समर्पण को साबित किया।

4-5 दिनों की योजना बनाई थी

माउंट एल्ब्रुस पर चढ़ाई के लिए उन्होंने 4-5 दिनों की योजना बनाई जिसमें प्रशिक्षण, राशन और मौसम की तैयारी शामिल थी। कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए उन्होंने अपनी यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की और स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में तिरंगा फहराया।

शशि की माउंटेनियरिंग की सफ़र प्रेरणादायक है, उनके पूर्व की उपलब्धियों में विश्व के सबसे ऊंची छोटी माउंट एवरेस्ट के बालकनी (8430m/ 27,657ft)तक का सफ़र, नेपाल स्थित माउंट लोबुचे (6,199 मीटर/20,075ft ) पर झंडा लहराना और माउंट मनिरंग (5758/19000ft) के समिट कैम्प तक की अभियान शामिल है।

गोमिया विधानसभा के लोगों को समर्पित की उपलब्धि

शशि शेखर ने इस उपलब्धि को ग़ोमिया विधानसभा क्षेत्र के लोगों को समर्पित किया, जिनके समर्थन और प्रेरणा ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शशि ने कहा, पिता जी के मेहनत और उनके काम से प्रेरित होकर मैंने यह उपलब्धि हासिल की है। उनका समर्थन और समर्पण मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने अपने पर्वतारोहण के सफर की शुरुआत बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स (BMC) से की, जहां उन्हें NIMAS द्वारा अरुणाचल प्रदेश के 16,500 फीट गोरीचेन ग्लेशियर में माउंटेनियरिंग ट्रेनिंग प्राप्त हुई।

इसके बाद, उन्होंने दार्जिलिंग में स्थित हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट से एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स (AMC) की ट्रेनिंग उत्तीर्ण की और 17,600 फीट स्थित कब्रू साउथ कैम्प तक का सफर किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने NIMAS अरुणाचल प्रदेश से सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स पूरा किया जिसमे उन्होंने विषम परिस्थिति में खुद को और दूसरो को रेस्क्यू करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इस उपलब्धि ने न केवल शशि की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को पूरा किया, बल्कि झारखंड में पर्वतारोहण की दुनिया में एक नई मिसाल स्थापित की। उनके इस साहसिक प्रयास ने यह भी दर्शाया कि सही तैयारी, समर्पण और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।