द फॉलोअप डेस्क
मंजिल उन्हें मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है। इस बात को खूंटी के अजय पॉल ने साबित कर दिखाया। दरअसल मंगलवार को रांची विश्वविद्यालय में 36 वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान 81 छात्रों को गोल्ड मेडल दिया गया। लेकिन इन छात्रों में मौजूद अजय बेहद अलग नजर आ रहे थे। अजय की खास बात यह है कि उन्होंने मजदूरी करते हुए पढ़ाई की और गोल्ड मेडल हासिल किया। वह अपने कॉलेज के दिनों में हर दिन मजदूरी करने जाते थे। वहां से दिन भर में 100 से 150 रुपए कमाते थे। उनके पिता को टीबी की बीमारी है।
काम के दौरान करते थे पढ़ाई
सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई शुरू कर देते थे। इसके बाद मजदूरी करने जाते थे। अजय ने बताया कि ट्रैक्टर पर ट्रिप के अनुसार पैसा मिलता था। लंच के वक्त जब घर आते थे। उस वक्त भी पढ़ते थे। फिर काम पर जाते थे। वापस शाम को घर आते थे तो कुछ भी खा कर पढ़ने बैठ जाया करते थे। रांची में वह रेंट की घर में रहते थे।
गांव वाले देते थे ताना
अजय ने बताया कि वह उन्होंने अपने पढ़ाई को हमेशा प्रायोरिटी में रखा। गांव वाले उसे अक्सर ताना देते थे कि लोग इतना पढ़ लिख कर बैठ गए हैं उन्हें तो नौकरी मिल नहीं रही है, तुम्हें क्या नौकरी मिलेगी। उसमें भी नागपुरी भाषा को तुमने चुना है। इससे तुम्हारा क्या ही हो जाएगा। लेकिन सब की बातों को नजरअंदाज करते हुए अजय ने सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दी। आज अजय को नागपुरी भाषा में बेहतरीन प्रदर्शन करने के लिए गोल्ड मेडल मिला है। राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन ने उनको अपने हाथों से मेडल पहनाया। इस दौरान वह काफी भावुक हो गये थे।
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