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मौत के बाद पैतृक गांव में नहीं दिया शव दफनाने, 10 साल पहले किया था धर्म परिवर्तन 

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द फॉलोअप डेस्क 
लोहरदगा जिले में धर्म परिवर्तन के कारण एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। कैरो प्रखंड के महुवरी गांव के निवासी 55 वर्षीय दुखा उरांव का शव उनके ही गांव में दफनाने नहीं दिया गया। 36 घंटे तक चले विवाद के बाद प्रशासन की पहल पर शव को दूसरे जगह ले जाकर दफनाया गया। 

क्या है मामला?
मिली जानकरी के अनुसार दुखा उरांव ने 10 साल पहले सरना घर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था और पैंटीकोस्टल चर्च से जुड़ गए थे। वह अपने पैतृक गांव महुवरी से रांची में बस गए थे। बीते रविवार को रांची में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। उनके परिवार ने अंतिम संस्कार के लिए शव को महुवरी गांव लाया, लेकिन गांव के ईसाई समुदाय ने अपने कब्रिस्तान में शव को दफनाने से मना कर दिया। जब परिवार ने अपने जमीन पर शव को दफनाने की कोशिश की तो उनके रिश्तेदारों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि दुखा ने ईसाई धर्म अपना लिया था और उनकी जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है। ऐसे में वे अपनी पारिवारिक जमीन में शव को दफनाने नहीं देंगे। 

पहले भी परिवार से साथ हुआ था ऐसा 
मामले की जानकारी मिलने पर एसपी हारिस बिन जमां, एसडीओ अमित कुमार और अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों और मिशन समुदाय के लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद प्रशासन ने सेन्हा क्षेत्र के सेरेंगहातू गांव में कब्रिस्तान के बाहर शव को दफनाने का निर्णय लिया। गौरतलब है कि दुखा के पिता की मौत के समय भी ऐसा ही विवाद हुआ था। इस बार भी उनके रिश्तेदारों और गांव वालों ने अंतिम संस्कार में बाधा डाली। प्रशासन की मदद से ही अंत में शव को दूसरी जगह दफनाया गया। 

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