logo

बेरोजगारी : न्याय की आस में अकेले तख्तियां लिए बैठा यह दिव्यांग, क्यों रो-रोकर सुना रहा है अपनी कहानी

divyang.jpg

रांचीः 
रांची के राजभवन के पास एक दिव्यांग युवक न्याय की गुहार लगा रहा है। उसने जैसे ही कैमरा देखा वैसे ही अपने आंसू ना रोक पाया। थोड़ी बातचीत के बाद पता चला कि यह युवक तो  यूजीसी नेट क्वालीफाई है। लेकिन हैरानी हो रही थी कि यह रो क्यों रहा है। कुछ देर बाद पता चला कि लड़का बेरोजगार है और सरकार के पास नौकरी की आस लगाए बैठा है। कुछ समय तक उसे नौकरी मिली भी थी लेकिन बाद में उसे उनके पद से हटा दिया गया। जितने महीने काम किये उसका वेतन भी नहीं दिया गया। इसलिए वह हाथ में तख्तियां लिए धूप-बारिश की चिंता किए बगैर अकेले ही धरने पर बैठ गया है। 


नौकरी देकर छीन लिया गया
दरअसल इस दिव्यांग को रोजगार देकर कुछ समय बाद उसे छीन लिया गया। लेकिन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। अब न्याय की आस में युवक राजभवन पहुंचा है। लेकिन राज्यपाल की दहलीज भी वह पार नहीं कर रहा है। युवक का नाम राजेश है। राजेश की पुकार हाकिमों की दर से टकराकर उस तक ही लौट आती है। दरअसल, मामला सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका से जुड़ा है। राजेश कुमार इसी विश्वविद्यालय में घंटी आधारित शिक्षक के रूप में काम करते थे।  वो पीजी के छात्रों को अर्थशास्त्र विषय पढ़ाते थे। उन्हें मौखिक रूप से ही नियुक्त किया गया था। 


कई महीने तक मानदेय नहीं मिला
राजेश को कई महीनों तक मानदेय भी नहीं मिला। राजेश ने राजभवन में पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई। लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई। बाद में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने उन्हें पद से हटा दिया। अपनी समस्या को लेकर राजेश ने हाल ही में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात करने की भी कोशिश की थी. लेकिन उस दौरान उन्हें पुलिस की ओर से दीक्षांत समारोह स्थल से हटा दिया गया था। आखिरकार राजेश रांची पहुंचे और राजभवन के समक्ष अकेले ही धरने पर बैठ गए। वह राजभवन में ज्ञापन देना चाहते हैं। लेकिन कोई उसकी सुनने वाला नहीं है