द फॉलोअप डेस्क
रांची में शुक्रवार को करीब 9 लाख लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ा। क्योंकि शहर में नल से जल की आपूर्ति ठप हो गई थी। इसका कारण पीएचईडी के बूटी जलागार और रुक्का जलशोधन केंद्र में काम करने वाले आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाने को लेकर हड़ताल और बूटी में सुबह बिजली की गड़बड़ी थी। इन हालातों के कारण पानी के लिए पूरी तरह नल पर निर्भर लोगों को काफी परेशानी हुई।
मिनी एचवाईडीटी और चापानलों पर निर्भर रहे लोग
शहर के कई हिस्सों में लोग पानी की तलाश में इधर-उधर दौड़ते रहे। लोगों को बाजार से जार और बोतलबंद पानी खरीद कर इस्तमाल करने पर मजबूर होना पड़ा। इसके बावजूद कई घरों में रसोई और बाकी कामकाज प्रभावित हुए। मलिन बस्तियों में हालात और भी खराब रही, जहां लोग निगम के मिनी एचवाईडीटी और चापानलों पर निर्भर रहे। इन चापानलों पर दिनभर भीड़ लगी रही। रातू रोड, एमईएस, नामकुम और टाटीसिलवे जैसे इलाकों में जलापूर्ति पूरी तरह ठप रही।
इन इलाकों में जलापूर्ति बंद
वहीं रातू रोड में जल संकट सबसे ज्यादा देखने को मिला। यहां 2 दिन से पानी नहीं पहुंचा। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां जलापूर्ति में अकसर ऐसी समस्या होती रहती है, जिससे लोग परेशान रहते हैं। शहर के प्रमुख इलाकों जैसे बूटी रोड, बरियातू रोड, मोरहाबादी, हरमू रोड, कचहरी रोड, मेन रोड और कई अन्य जगहों पर पाइपलाइन से जलापूर्ति बंद रही। स्कूली बच्चों को भी इस वजह से काफी दिक्कत हुई, और कई बच्चे देर से स्कूल पहुंचे।
केवल 2 घंटे जलापूर्ति की गई
बिजली की समस्या भी इस संकट का एक बड़ा कारण थी। बूटी जलागार में सुबह 3 बजे से ही बिजली गुल थी, जो दोपहर 1 बजे के बाद आई। इस बीच केवल 2 घंटे के लिए जलापूर्ति की गई, लेकिन पर्याप्त मात्रा में पानी जमा न होने से कई इलाकों में जल की सप्लाई नहीं हो पाई।