द फॉलोअप टीम, रांची
सोमवार को प्रोजेक्ट भवन का घेराव करने राज्य के 17 जिले से रांची पहुंची तेजस्विनी परियोजना की महिला कर्मी। दरअसल, तेजस्विनी परियोजना की लगभग 10 हजार से भी अधिक कर्मियों को उन्हें पद से हटा कर योजना को बंद कर दिया गया। अवधि विस्तार और मानदेय की बकाया राशि की मांग को लेकर तमाम महिला कर्मी रांची के धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान से प्रोजेक्ट भवन की ओर कूंच करने लगीं। लेकिन धारा 144 भी लागू होने की वजह से उन्हें डीएवी कपिल देव स्कुल के लगे बैरिकेट्स के पास ही रोक दिया गया। जिस कारन वे प्रोजेक्ट भवन तक नहीं पहुंच सके। इस दौरान सभी ने हेमंत और जोबा मांझी मुर्दाबाद के नारे लगाए और लिखित रूप से उनकी मांगे पूरी करने की बात कही।
2017 में शुरू हुई थी योजना
बता दें कि वर्ष 2017 में तेजस्विनी परियोजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना को राज्य के 17 जिलों में लागू किया गया था। जिससे जुड़कर महिलाएं दो पैसे कमा सके और समाज की 14 से 24 वर्ष की किशोर लड़कियों को उनके हक़ अधिकार के लिए उन्हें जागरूक करना था। इस काम के लिये उन्हें 2 हजार 300 रूपये मानदेय के रूप दिए जाते थे। हालांकि इस योजना को विश्व बैंक और राज्य सरकार की मदद से अनुबंध पर शुरू किया गया था।
मांगे पूरी नहीं हुई तो जारी रहेगा आंदोलन- आशीष विजय
25 अगस्त को बाल विकास कल्याण विभाग की ओर से एक सूचना जारी किया गया। जिसमें इस योजना को बंद किये जाने का ज़िक्र किया गया था। विभाग की ओर से योजना को बंद करने के पीछे का कारण विश्व बैंक को बताया। विश्व बैंक ने इस योजना को आगे जारी रखने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसके बाद 8 हजार से भी अधिक महिला कर्मी बेरोजगार हो गए। इस फैसले से गुस्साए तमाम कर्मियों ने सरकार पर हमला बोलते हुए आंदोलन शुरू कर दिया। वहीं तेजस्विनी परियोजना के अध्यक्ष आशीष विजय ने कहा की सरकार हम लोगों के साथ अन्याय कर रही है। पिछले 12 महीने से मानदेय नहीं दिया गया, और अब अवधि विस्तार करने के बजाए हमें हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं की जाएगी तब तक यह आंदोलन इसी तरह चलता रहेगा।