जमशेदपुर
सामाजिक सुरक्षा विभाग ने ठंड के मद्देनजर राज्य के सभी जिलों में रहने वाले गरीबों के बीच कंबल बांटने के लिए 30 करोड़ रुपये के कंबल मंगाये थे। अब निविदा की शर्तों के अनुसार, हर कंबल का वास्तविक वजन धोने के बाद काफी कम आ रहा है। साथ ही गुणवत्ता में भी कई कमियां पाई गई है। सभी कंबलों की आपूर्ति का आदेश हरियाणा, पानीपत और धनबाद के प्रतिष्ठान को दिया गया है। इसे लेकर जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पत्र लिखते हुए पूरे मामले की जांच करने की मांग की है। सरयू राय ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया है कि विभिन्न जिलों में कंबल की आपूर्ति की अंतिम तिथि 11 जनवरी, 2025 रखी गई है। आपूर्ति का कार्य प्रारंभ हो गया है, लेकिन अभी पूरा नहीं हुआ है।
राय ने कहा, विभिन्न जिलों से जो सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं, उसके अनुसार कंबलों की गुणवत्ता निविदा की शर्तों के अनुरूप नहीं है। बताया कि निविदा शर्तों के अनुसार ये सभी कंबल हैंडलूम द्वारा निर्मित होने चाहिए। लेकिन सभी पावरलूम द्वारा निर्मित है। निविदा शर्तों के अनुसार कंबल में 70 प्रतिशत ऊन के धागे होना चाहिए और बाकि 30 प्रतिशत सिन्थेटिक धागा होना चाहिए। इस कसौटी पर भी कंबल खरा नहीं उतर पा रहे हैं। अधिकांश कंबलों में ऊन की मात्रा 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत के बीच होने की शिकायत मिल रही है। इसके साथ ही शेष सिन्थेटिक धागा पॉलिएस्टर का होना चाहिए और धागा नया होना चाहिए, लेकिन वितरित किये जा रहे कंबलों में पॉलिएस्टर का नहीं बल्कि पुराने कपड़ों का धागा लगाया गया है।
बताया कि धुलाई के बाद कंबल का वजन न्यूनतम दो किलोग्राम होना चाहिए, लेकिन इसमें भी कमी दिखाई पड़ रही हैं। निविदा की शर्तों का अनुपालन आपूर्तिकर्ताओं द्वारा नहीं किये जाने के कारण गुणवत्ता से समझौता हुआ है। बताया कि ऐसी सूचना मिल रही है कि आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दो तरह के कंबलों की आपूर्ति की जा रही है। करीब 10 प्रतिशत कंबल ऐसे हैं जो निविदा शर्तों के अनुरूप हैं, बाकि 90 प्रतिशत कंबल निविदा के शर्तों के अनुरूप नहीं है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि जांच की प्रक्रिया में इन्हीं 10 प्रतिशत कंबलों के नमूने के आधार पर जांच कर ली जाये। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि प्रत्येक जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में वितरित किये जा रहे कंबलों का नमूना लेकर सभी की जांच करायी जाये। जिसके बाद मामले में विधिसम्मत कार्रवाई की जाये।