रांची
8.46 एकड़ जमीन से जुड़े फर्जीवाड़ा मामले में झामुमो नेता आनंद तिर्की उर्फ अंतू तिर्की, जमीन कारोबारी इरशाद अख्तर, अफसर अली और मोहम्मद इरशाद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने इन सभी आरोपियों को जमानत देने की अनुमति दे दी है। इससे पहले हाई कोर्ट ने अंतू तिर्की की जमानत याचिका 28 मार्च 2025 को और इरशाद अख्तर की याचिका 11 अप्रैल 2025 को खारिज कर दी थी। इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अंतू तिर्की और इरशाद अख्तर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वरीय अधिवक्ता अंजना प्रकाश और हाईकोर्ट के अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने पक्ष रखा। वहीं अफसर अली और मोहम्मद इरशाद की ओर से वरीय अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन और अदिति प्रिया ने पैरवी की।
गौरतलब है कि फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मास्टरमाइंड मोहम्मद सद्दाम हुसैन से हुई पूछताछ के आधार पर ईडी ने झामुमो नेता आनंद तिर्की उर्फ अंतू तिर्की, जमीन कारोबारी बिपिन सिंह समेत कुल 9 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस केस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भानु प्रताप प्रसाद, शेखर कुशवाहा, अंतू तिर्की, इरशाद अख्तर, अफसर अली सहित कुल 10 लोगों को चार्जशीट में अभियुक्त बनाया गया है।
दरअसल, इस जमीन घोटाले में शेखर कुशवाहा के परिसरों पर ईडी ने दो बार — 22 अप्रैल 2023 और 16 अप्रैल 2024 को — छापेमारी की थी। पूछताछ में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी। शेखर कुशवाहा बड़गाई अंचल क्षेत्र की एक जमीन के लेन-देन में शामिल थे। आरोप है कि उन्होंने अपने सहयोगियों प्रियरंजन सहाय, सद्दाम हुसैन, विपिन सिंह, इरशाद अंसारी और अफसर अली के साथ मिलकर राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद की मिलीभगत से वर्ष 1971 की एक फर्जी सेल डीड तैयार करवाई थी। कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय में उपलब्ध मूल दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर यह डीड तैयार की गई थी। जिस 4.83 एकड़ जमीन पर यह धोखाधड़ी हुई, वह असल में एक भोक्ता परिवार की संपत्ति थी, जिसे नाम बदलकर सामान्य प्रकृति की भूमि दर्शाया गया था। इसके बाद 22.61 करोड़ की इस जमीन को 100 करोड़ रुपये में बेचने की योजना थी।