द फॉलोअप डेस्कः
अमेरिकी फेड रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती के ऐलान के बाद गुरुवार को शेयर बाजार में भारी तबाही देखने को मिली। बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 1,000 प्वाइंट्स गिरकर कारोबार कर रहा है, जबकि निफ्टी 24,000 के नीचे ट्रेड कर रहा है. दरअसल, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बीते दिनों हुई मॉनिटरी पॉलिसी मीटिंग में कहा कि अगले साल यानी 2025 में केवल दो बार ही ब्याज दर में कटौती की उम्मीद है, जबकि पहले चार बार कटौती की संभावनाएं जताई जा रही थी। फेड रिजर्व ने इसके पीछे लगातार मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था की लचीलापन का हवाला दिया गया है।
निवेशकों के डूबे 6 लाख करोड़
वहीं, आज सेंसेक्स और निफ्टी में आई भारी गिरावट की वजह से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड सभी कंपनियों के मार्केट कैपिटल में 5.94 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है, जिसके बाद यह घटकर 446.66 लाख करोड़ रुपये हो गया। बता दें कि इस सप्ताह की शुरुआत से ही निफ्टी और सेंसेक्स पर दबाव देखने को मिल रहा था। आइए आज की गिरावट के पीछे की बड़ी वजहों को विस्तार से जानते हैं।
अगले साल कम कटौती के संकेत
फेडरल रिजर्व ने साल 2025 में केवल दो तिमाही अंकों की कटौती की उम्मीद जताई है, जो तीन या चार कटौतियों से कम था। जिसने निवेशकों की टेंशन बढ़ा दी है। सीएमई फेडवॉच टूल के मुताबिक, जनवरी 2025 में रेट कट की उम्मीद गुरुवार को शुरुआती एशियाई कारोबारी घंटों में 6% तक गिर गई, जो फेड के फैसले से पहले 16% थी।
बांड यील्ड और डॉलर
यूएस 10-वर्षीय नोटों पर यील्ड बुधवार को 4.524% के सात महीने के हाई लेवल को छू गया और पिछली बार 4.514% पर था। वहीं, डॉलर इंडेक्स में तेजी आई है. बुधवार को नवंबर 2022 के बाद से डॉलर इंडेक्स अपने हाई लेवल पर पहुंच गया। गुरुवार को शुरुआती कारोबार में यह आखिरी बार 108.15 पर था।
बता दें कि हाई बॉन्ड यील्ड अमेरिकी एसेट्स को अधिक आकर्षक बनाती है, जिससे भारत जैसे उभरते बाजारों से कैपिटल का आउटफ्लो होता है। इसके अलावा, एक मजबूत डॉलर विदेशी पूंजी की लागत को बढ़ाता है।
ग्लोबल मार्केट में गिरावट
बुधवार को अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई, जिसमें डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज ने चार महीनों में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया। वहीं, S&P 500 ने 2001 के बाद से दर निर्णय के दिन अपनी सबसे खराब गिरावट देखी, जबकि डॉव ने अपनी लगातार 10वीं गिरावट दर्ज की, जो अक्टूबर 1974 के बाद से इसकी सबसे लंबी गिरावट का सिलसिला है।