द फॉलोअप डेस्क
एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के गुरुवार को अहमदाबाद के एक कॉलेज हॉस्टल पर दुर्घटनाग्रस्त होने से लगभग आधा घंटा पहले, कैंटीन कर्मचारी रवि ठाकोर और उनकी पत्नी लंचबॉक्स देने बाहर गए थे। उस समय उनकी दो साल की बेटी और मां हॉस्टल कैंटीन में ही थीं। हादसे के बाद से दोनों लापता हैं।
न्यूज एजेंसी रायटर के मुताबिक रवि ठाकोर अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि एक "दूसरा चमत्कार" हो सकता है, वैसा ही जैसा विमान में सवार एकमात्र जीवित यात्री के साथ हुआ।
ठाकोर ने रायटर को बताया कि हादसे के समय उन्हें तेज धमाके की आवाज सुनाई दी, जिसे उन्होंने शुरू में गैस सिलेंडर फटने का भ्रम समझा। लेकिन जल्दी ही उन्हें अहसास हुआ कि जिस इमारत से वे कुछ ही मिनट पहले निकले थे, वह अब आग की लपटों में घिरी हुई है। पिछले कई दिनों से वह अपनी मां और बेटी की तलाश में अहमदाबाद के अस्पतालों और मुर्दाघरों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस ने मामले को 'गुमशुदगी' के तौर पर दर्ज किया है।
अस्पताल के बाहर मीडिया से बात करते हुए भावुक ठाकोर ने कहा, "अगर विमान में सवार एक यात्री बच सकता है, तो हमारी बेटी और मां भी किसी तरह जिंदा हो सकती हैं।" उनकी पत्नी ललिता उनके पास चुपचाप खड़ी थीं, चेहरे पर गहरी चिंता साफ झलक रही थी। उन्होंने स्वीकार किया कि बचने की संभावना बहुत कम है, लेकिन फिर भी उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। इस भयावह दुर्घटना में अब तक कम से कम 271 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इनमें 241 यात्री और चालक दल के सदस्य विमान में थे, जबकि शेष ज़मीनी स्तर पर मारे गए। अधिकतर कॉलेज हॉस्टल में मौजूद छात्र थे।
ठाकोर और उनकी पत्नी ने डीएनए सैंपल दे दिए हैं, लेकिन उन्हें अब तक यह नहीं बताया गया है कि कोई मेल मिला या नहीं। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, पहचान की प्रक्रिया में समय लग रहा है। अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक रजनीश पटेल ने रविवार को जानकारी दी कि अब तक केवल 32 शवों की डीएनए से पहचान की जा सकी है। गुरुवार को जब विमान हॉस्टल कैंटीन से टकराया, तब दर्जनों छात्र दोपहर का भोजन कर रहे थे। दुर्घटना के बाद घटनास्थल पर पहुंची न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की टीम ने देखा कि कुछ टेबलों पर अभी भी खाना वैसे ही रखा हुआ था – जैसे वहां कोई अभी भी बैठा हो।
ठाकोर ने बताया कि जब वे हॉस्टल से निकले, तब उनकी मां रसोई में व्यस्त थीं और उनकी बेटी लकड़ी के झूले पर सो रही थी। उन्होंने आशंका जताई कि हो सकता है, अफरा-तफरी में किसी ने बच्ची को उठा लिया हो। गौरतलब है कि विमान में सवार 242 यात्रियों में से केवल एक यात्री, 40 वर्षीय विश्वाश कुमार रमेश, जीवित बच सका। वह किसी तरह विमान के टूटे हैच से बाहर निकलने में कामयाब हुआ और उसे मामूली चोटें आईं।