डेस्क:
झारखंड के मांडर में हुए उपचुनाव के नतीजे का असर राज्य में कई पॉलिटिकल पार्टी के नेताओं पर पड़ सकता है। भले ही ये सीट भाजपा के लिए टफ थी, लेकिन इस बार जिस तरह से पार्टी ने इस सीट पर रणनीति बनाई थी उससे कई नेताओं को लग रहा था कि इस बार मांडर में कमल खिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब भाजपा के अंदर इस बात की चर्चा हो रही है कि अगर आरक्षित सीट (ST) पर पार्टी लोगों को भरोसे में कम ले पा रही है तो आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए। भाजपा में जितनी मुंह उतनी बात सुनने को मिल रही है। पार्टी के कई छोटे कार्यकर्ता अब प्रदेश अध्यक्ष के बारे में सोशल साइट पर लिखने लगे हैं।
दीपक प्रकाश को नहीं मिलेगा दूसरा मौका
झारखंड भाजपा के महामंत्री दीपक प्रकाश को 25 फरवरी 2020 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। सामान्य तौर पर तीन सालों के लिए पार्टी इस पद की जिम्मेदारी देती है, लेकिन परिस्थितियों के अनुसार समय में बदलाव किया जाता है। वहीं झारखंड में दीपक प्रकाश को कमान देने के बाद से पार्टी ने 4 उपचुनाव लड़ा लेकिन किसी पर सफलता नहीं मिली लिहाजा केन्द्रीय नेतृत्व की निगाह में ये बात घर कर गई है।
बीजेपी में भी हो सकता है बड़ा बदलाव
दिल्ली में पार्टी सूत्रों की माने तो लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक में बड़ा बदलाव हो सकता है। सूत्रों पर विश्वास करें तो पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर किसी यादव नेता को पार्टी का कमान दे सकती है वहीं झारखंड में अब ये कमान किसी अनुसूचित जाति के नेता को मिल सकती है। पार्टी में इस फेर बदल का संभावित समय 5 से 6 महीने के अंदर देखा जा रहा है। इतना ही नहीं! झारखंड प्रदेश के संगठन महामंत्री धर्मपाल को भी लेकर चर्चा है। पहले ही पार्टी ने नागेंद्र को क्षेत्रीय संगठन महामंत्री का जिम्मा सौंपा था, वे फिलहाल बिहार के साथ झारखंड की भी जिम्मेदारी संभाल रहें हैं। सूत्रों की माने तो ऐसे भी संगठन के अंदर प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्रि के विचार और रणनीति में काफी अंतर दिख रहा है।
बंधु तिर्की का कांग्रेस में बढ़ेगा कद
जेवीएम से कांग्रेस में आये मांडर के पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने मांडर उपचुनाव में अपनी बेटी को बड़े अंतर से जिता कर पार्टी में केन्द्रीय नेतृत्व का दिल जीत लिया है। एआईसीसी में इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है कि क्यों ना पार्टी बंधु तिर्की को लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में आदिवासी को बड़े चेहरे के तौर पर पेश किया जाये। अगर दिल्ली सूत्रों की मानें तो कांग्रेस में भी लोकसभा चुनाव से पहले फेरबदल होने की संभावना है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी दोनों अगड़ी जाति से आते हैं, लिहाजा उनमे से अध्यक्ष का पद किसी आदिवासी को देने की चर्चा चल रही है। कहा ये भी जा रहा है कि पार्टी वर्तमान अध्यक्ष को किसी सम्मानजनक पद पर स्थापित करेगी औऱ फिर अध्यक्ष का पद बंधु तिर्की को मिल सकता है।
चर्चा इस बात को लेकर भी हो रही है, कि अगर कोर्ट से बंधु तिर्की को राहत मिलती है तो उन्हे लोकसभा में लोहरदगा से चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है। फिलहाल दोनो दलों में तरह- तरह की चर्चा हो रही है और हर कोई अपनी किलेबंदी भी कर रहा है।