द फॉलोअप डेस्क
मुंबई की एक अदालत ने बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर के खिलाफ तनुश्री दत्ता द्वारा 2018 में दर्ज कराए गए मीटू मामले पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शिकायत तय सीमा से काफी देर बाद दर्ज कराई गयी थी और देरी का कोई ठोस कारण भी नहीं बताया गया। इस वजह से कोर्ट ने तनुश्री दत्ता की याचिका को खारिज कर दिया है।
जानकारी हो कि तनुश्री दत्ता ने 23 मार्च 2008 को फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के सेट पर नाना पाटेकर द्वारा कथित उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। उन्होंने 2018 में इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई, जिससे यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया और #MeToo मूवमेंट तेज हुआ। मुंबई पुलिस ने 2019 में अपनी जांच पूरी कर बी-समरी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की, जिसमें कहा गया कि जांच में आरोपों को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
न्यायिक मजिस्ट्रेट एनवी बंसल ने कहा कि एफआईआर में दर्ज अपराधों की अधिकतम सजा 3 साल है लेकिन मामला घटना के 10 साल बाद दर्ज हुआ। अदालत ने यह भी कहा कि इतनी देरी का कोई वैध कारण नहीं बताया गया है। कोर्ट के अनुसार अगर बिना कारण इतनी देर बाद मामला दर्ज करने की अनुमति दी जाती है, तो यह कानून के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।
तनुश्री दत्ता ने पुलिस की बी-समरी रिपोर्ट को खारिज करने और दोबारा जांच की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। फैसले के बाद यह मामला कानूनी रूप से आगे नहीं बढ़ सकेगा, क्योंकि अदालत ने साफ कर दिया कि घटना की सत्यता पर चर्चा नहीं हुई, बल्कि कानूनी सीमा समाप्त होने के कारण संज्ञान नहीं लिया गया।