पटना
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर नाराज़गी अब जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) के अंदर खुलकर सामने आ रही है। पार्टी के इस रुख से असहमति जताते हुए अब तक कम से कम तीन नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में पार्टी के विभिन्न अल्पसंख्यक प्रकोष्ठों के नेता शामिल हैं।
मोहम्मद कासिम अंसारी, जो खुद को JDU चिकित्सा प्रकोष्ठ (पूर्वी चंपारण) का अध्यक्ष बताते हैं, उन्होंने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर पार्टी की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाए। अंसारी ने लिखा कि JDU के वक्फ बिल पर रुख से "लाखों मुसलमानों का भरोसा टूट गया है।"
इसी तरह, नवाज मलिक, जिन्होंने खुद को JDU अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का सचिव बताया, उन्होंने भी अपने पत्र में कहा कि पार्टी का यह स्टैंड मुसलमानों को आहत करने वाला है। अब एक और नाम सामने आया है — मोहम्मद तरबेज सिद्दीकी अलीग, जो पार्टी के प्रदेश महासचिव और अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य थे। उन्होंने भी JDU से इस्तीफा देकर विरोध दर्ज कराया है।
हालांकि जेडीयू की ओर से इन इस्तीफों को गंभीरता से नहीं लिया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि इनमें से किसी को भी पार्टी के पदाधिकारी के रूप में नहीं जाना जाता और ये सभी लोग संगठनात्मक पद पर नहीं थे। इस बीच, जेडीयू नेता विजय कुमार चौधरी ने स्पष्ट किया है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पार्टी के भीतर कोई भ्रम नहीं है और सभी नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में एकमत हैं।