द फॉलोअप डेस्क
बिहार से बीते दिनों जनसंख्या का मामला काफी चर्चा में था। विधानसभा में सीएम ने जनसंख्या नियंत्रण पर टिप्पणी किया था। इसके साथ ही उन्होंने नियोजन योजना भी चलाई थी। इसमें महिलाओं को नसबंदी करवाने के फायदे बताए गए थे। इसी योजना के तहत एक महिला ने नसबंदी कराई थी। लेकिन बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली से हर कोई वाकिफ है। महिला नसबंदी के बाद एक, दो बार नहीं बल्कि तीन बार गर्भवती हुई और बच्चों को जन्म दिया। महिला के पहले से 4 बच्चे हैं। मतलब जुली कुल 7 बच्चों की मां है। ऐसे में उसके पति का कहना है कि हम गरीब है सात बच्चों का पेट कैसे पलेंगे। इस मामले ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया है। वहीं इस मामले को लेकर महिला ने अधिकारियों को जानकारी दी है।
2018 में नसबंदी के बाद पहली बार गर्भवती हुई जुली
मामला मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट क्षेत्र के गांव केवटसा का है। यहां की रहने वाली जूली देवी 2015 में नियोजन योजन के तहत नसंबदी करवाई थी। इसके बाद महिला 2018 में पहली बार गर्भवती हुईं। उनके पति नीरज कुमार सिंह को जब गर्भ का पता चला तो वो जूली को सिविल सर्जन और जिला अधिकारी के पास लेकर गए। वहां जूली को अंतरा इंजेक्शन (गर्भनिरोधक इंजेक्शन) लगाया गया और कहा गया कि अब वो दोबारा प्रेग्नेंट नहीं होगीं। इसके बाद 2020 में जूली फिर से गर्भवती हुईं, और बच्ची को जन्म दिया। तब जूली को तत्कालीन सिविल सर्जन ने 6,000 मुआवजा की राशि दी।
तीन साल तक हर महीने अंतरा इंजेक्शन लगाने की बात कही गई
जूली के पति नीरज ने मामले को लेकर कहा कि “बच्ची के जन्म के बाद हम गायघाट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गए। वहां मुझसे कहा गया कि जूली को अगले तीन साल तक हर महीने अंतरा इंजेक्शन लगेगा। हमने हर महीने जूली को इंजेक्शन लगवाया। लेकिन जब आखिरी इंजेक्शन लगवाने गए तो पता चला कि वो तीन महीने से प्रेग्नेंट है। परिवार नियोजन ऑपरेशन (नसबंदी) करवाने के बाद ये तीसरा बच्चा है। अब तक सात बच्चे हो चुके हैं। हम बेरोजगार है सबका भरण पोषण कैसे करेंगे? ऑपरेशन के बाद जब पहला बच्चा हुआ था तभी जिलाधिकारी ने आश्वाशन दिया था कि मामले में उचित जांच कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं है।”