logo

झारखंड : रात को अंगीठी जलाकर सोए, फिर उठे ही नहीं 4 दोस्त; 3 लोग लड़ रहे जिंदगी की जंग

anghiti_se_mara.jpg

द फॉलोअप डेस्क
हजारीबाग के कटकम दाग थाना क्षेत्र के रसूलीगंज से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां ठंड से बचने के लिए कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोना 7 मजदूरों को महंगा पड़ गया। 7 में से 4 की मौत हो गई है वहीं 3 की स्थिति गंभीर है।दम घुटने के चारों की मौत हुई है। ये सभी मजदूर बिहार के बक्सर के रहने वाले थे। सेल्स बॉय के रूप में किसी कंपनी में काम करते हैं। इसी सिलसिले में झारखंड के हजारीबाग आए थे। 


सातों युवक नेटवर्किंग और प्रोडक्ट बेचते है
घटना में मरने वाले 4 लोगों में राकेश कुमार, अरमान अली, अखिलेश कुमार और प्रिंस कुशवाहा का नाम सामने आया है। कटकमदाग पुलिस ने चारों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज भेजा है। वहीं हजारीबाग के आरोग्यम अस्पताल में रोहित राकेश और सलमान का इलाज चल रहा है। सातों युवक नेटवर्किंग और प्रोडक्ट बेचने का काम करते थे और एक साथ रहते थे। सभी बिहार के रहने वाले थे। घटना को लेकर मकान मालिक ने बताया कि आज सुबह जब कमरे से कोई नहीं निकल रहा था तो हमने बाहर से दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आई। अंदर से कोई आवाज नहीं आने पर हम दरवाजा तोड़ कर अंदर घुस गए। अंदर सातों बेहोश पड़े हुए थे। सभी को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया। जहां चार को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया है वहीं 3 का इलाज जारी है। 


क्यों नहीं जला कर सोना चाहिए कोयले या लकड़ी की अंगीठी 
सर्दियों में अकसर लोग कमरा बंद करके कोयले या लकड़ी की अंगीठी जलाकर सोते हैं, लेकिन यह जिंदगी पर भारी पड़ सकता है। दरअसल, धुएं के कारण बंद कमरे में दम घुटने से लोगों की मौत हो सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो कोयले की अंगीठी जलाने से कार्बन मोनो ऑक्साइड निकलती है। यह जहरीली गैस सांस की नली से अंदर जाने के बाद दिमाग में खून की सप्लाई बाधित कर देती है। इससे दम घुट जाता है या ब्रेन हेमरेज भी हो सकता है। जिन जगहों पर कोयला या लकड़ी जल रही हो और वेंटिलेशन का कोई जरिया न हो यानी हवा का कोई रास्ता न हो, वहां सांस लेने पर ऑक्सीजन के साथ कार्बन मोनोऑक्साइड भी खींचते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाती है। खून में मौजूद आरबीसी ऑक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड से पहले जुड़ती है। इससे शरीर के कई अहम अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इससे हाईपोक्सिया की स्थिति बन जाती है, जिससे ऊतक (टिशू) नष्ट होने लगते हैं और यह जानलेवा साबित होती है।