द फॉलोअप डेस्क
पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के फुलवारीशरीफ मॉड्यूल से जुड़े मो. अफरोज ने मुजफ्फरपुर स्थित विशेष कोर्ट (यूएपीए) में सरेंडर कर दिया है। उस पर बरुराज में युवाओं को संगठन से जोड़ने और ट्रेनिंग देने का आरोप है। अफरोज पिछले दो साल से फरार था और पुलिस ने उसकी कुर्की-जब्ती की कार्रवाई शुरू की थी। वह पूर्वी चंपारण के मेहसी थाना के कस्बा गांव का निवासी है और फुलवारीशरीफ में दर्ज मामलों में भी वांछित था।
अफरोज पीएफआई के प्रदेश उपाध्यक्ष मो. रियाज मौरिफ का करीबी सहयोगी था और उसने बरुराज के परसौनी गांव में अब्दुल कादिर अंसारी के घर पर कैंप लगाकर युवाओं को ट्रेनिंग दी थी। एनआईए ने फुलवारीशरीफ मॉड्यूल में पूर्वी चंपारण के चकिया के हरपुर किशुनी के मो. बेलाल को 5 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में बेलाल ने संगठन के अन्य अधिकारियों और कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी दी थी, जिसके बाद एनआईए ने परसौनी में अब्दुल कादिर के घर पर छापेमारी की थी। कादिर भी पीएफआई से जुड़ा था और वह बेलाल का रिश्तेदार था। एनआईए ने कादिर के घर से ट्रेनिंग और भर्ती कैंप के बैनर, दस्तावेज और तलवारें जब्त की थीं।
एनआईए ने बरुराज में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें बेलाल, कादिर, रियाज मौरिफ, याकूब खान उर्फ सुल्तान उर्फ उस्मान और मो. अफरोज को नामजद आरोपित बनाया गया था। इस मामले में बेलाल, कादिर और रियाज मौरिफ पहले से न्यायिक हिरासत में हैं। रियाज मौरिफ और कादिर के खिलाफ 17 मार्च को आरोप तय होने की सुनवाई होनी है। सुल्तान उर्फ उस्मान अभी तक फरार है।
सभी आरोपित फुलवारीशरीफ के अहमद पैलेस से जुड़े हुए हैं। इन आरोपितों ने पहले मोतिहारी के गांधी मैदान में भी ट्रेनिंग कैंप चलाया था। परसौनी में कैंप चलाने के लिए पीएफआई के प्रदेश उपाध्यक्ष रियाज मौरिफ ने व्हाट्सएप पर मैसेज जारी किया था। उसके निर्देश पर अफरोज और याकूब खान ने परसौनी और मोतिहारी में अलग-अलग स्थानों पर ट्रेनिंग कैंप लगाए थे। इस मामले में बिहारशरीफ के शमीम अख्तर, तामिलनाडु के मो. रोसेलन, मधुबनी के तौसीफ और अनसारुल हक जैसे पीएफआई के बड़े नेताओं का भी नेटवर्क जुड़ा हुआ है।