पटना:
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने अपने पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार पर विश्वासघात का आरोप लगाया है। जेडीयू द्वारा उनकी पार्टी को तोड़ने की साजिश रचने के आरोपों के जवाब में सुशील मोदी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने किसी को नहीं तोड़ा। सुशील मोदी ने कहा कि हमने नीतीश कुमार को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया। हमने पांच बार उनको बिहार में सीएम बनाया। आरजेडी ने 2 बार ऐसा किया। उन्होंने कहा कि हमारे बीच 17 साल पुराना रिश्ता रहा है। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने 2 बार हमारे साथ धोखा किया।
2020 में पीएम मोदी के नाम पर मिला वोट!
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मिला। यदि नीतीश कुमार के नाम पर वोट मिला होता तो एनडीए गठबंधन को 150 से 170 सीटों से ज्यादा में जीत मिली होती। खुद जनता दल यूनाइटेड को महज 43 सीटें नहीं मिली होतीं।
नीतीश कुमार के नाम पर नहीं मिला था वोट!
सुशील मोदी ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त जब पीएम ने देखा कि हालात अच्छे नहीं हैं। नीतीश के खिलाफ जनविरोधी लहर चल रही है तो उन्होंने 1 दिन में 3 से 4 रैलियां कीं। 2020 का बहुमत पीएम मोदी के लिए था ना कि नीतीश कुमार के नाम पर मिला था। पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वे आरोप लगाते हैं कि हमने जेडीयू को तोड़ने का प्रयास किया। वे शिवसेना का उदाहरण देते हैं लेकिन मैं बता दूं कि शिवसेना महाराष्ट्र में हमारी सहयोगी नहीं थी। वो तब सरकार में थी। उन्होंने कहा कि हमने कभी भी किसी सहयोगी को तोड़ने की कोशिश नहीं की।
मंगलवार को नीतीश ने दिया था इस्तीफा
गौरतलब है कि बिहार में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच नीतीश कुमार ने एनडीए गठबंधन से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने बीजेपी से अपनी राहें अलग कर लीं। नीतीश कुमार ने एनडीए के मुख्यमंत्री के रूप में राज्यपाल फागु चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। मंगलवार को ही नीतीश कुमार ने राज्यपाल को 164 विधायकों का समर्थन पत्र भी सौंपा। इस समर्थन पत्र में जेडीयू के 43, आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19, लेफ्ट पार्टियों के 16, हम के 4 और 1 निर्दलीय विधायक का नाम शामिल है। नीतीश कुमार ने आज 8वीं बार सीएम पद की शपथ ली। आरजेडी के तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वे दूसरी बार बिहार के डिप्टी सीएम बने।
नीतीश कुमार ने क्यों छोड़ा बीजेपी का साथ!
बता दें कि नीतीश कुमार ने मंगलवार को राज्यपाल फागु चौहान को इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया से कहा था कि उन्होंने पार्टी के मत का सम्मान करते हुए एनडीए से अलग होने का फैसला किया है। पार्टी के तमाम विधायक, सांसद और एमएलसी चाहते थे कि हम एनडीए से अलग हो जाएं। पार्टी नेताओं का मानना था कि एनडीए के साथ रहने से जेडीयू को दीर्घकालिक नुकसान होगा।
2015 में जब साथ आये थे जेडीयू-आरजेडी
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने साल 2015 में आरजेडी के साथ मिलकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। तब नीतीश कुमार की जेडीयू को 71 सीटें मिली थीं। ये लालू यादव के दोनों बेटों, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव का राजनीतिक डेब्यू था। तेजस्वी डिप्टी सीएम और तेजप्रताप स्वास्थ्य मंत्री बने थे। हालांकि, 2 साल बाद जब तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो नीतीश कुमार असहज महसूस करने लगे। 2017 में नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ा और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। 2020 का चुनाव भी साथ लड़ा।