द फॉलोअप डेस्क
राजद नेता और बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर सीएम नीतीश कुमार को बूढ़ा, बीमार और अचेत बताते नहीं थकते। लेकिन नीतीश कुमार की राजनीतिक सूझबूझ से ऐसा नहीं लगता। उनकी सूझ बूझ के कारण उनके राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। नीतीश कुमार ने बिहार के धुरंधर राजनीतिक व्यक्ति लालू प्रसाद यादव से नया केवल उनकी सत्ता छीनी, बल्कि उनकी पार्टी को उस स्थिति में पहुंचा दिया,जहां से उनकी पार्टी उठ ही नहीं पा रही है। राजद को अगर साल 2015 में पुनर्जीवन मिला तो यह केवल नीतीश कुमार के साथ का परिणाम था। लालू को शायद नीतीश के इस सियासी क्षमता का अंदाजा था। इसी कारण उन्होंने सालों पहले लोकसभा चुनाव में कहा था कि नीतीश के आंत में भी दांत हैं।
बिहार के राजनीतिक चाणक्य कहे जाते है नीतीश
राजनीतिक कौशल कि बात करें तो नीतीश कुमार के कई उदाहरण मिल जाएंगे। सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि आज तक उनकी पार्टी जीडीयू को कभी सरकार बनाने के लिए पूरे विधायक नहीं मिलें। लेकिन इसके बावजूद साल 2005 से अब तक नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनते आ रहे है। लेकिन इस बार उन्हें भाजपा से भी है। अगर इस बार फिर से वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो जाते है तो इसमें आश्चर्य नहीं होगी। बाता दें कि साल 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू कि हालत बहुत खराब हो गई थी। एक साथ चुनाव लड़ने के बावजूद भाजपा को 74 सीट मिलें थे, वहीं जेडीयू को केवल 43 सीट। लेकिन मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही बने थे। बीच मे वह राजद के साथ गए तब भी मुख्यमंत्री के तौर पर वही विराजे हुए थे।
चुनाव से पहले नीतीश का दिखा जबरदस्त प्लान
अनुसूचित जाति आयोग के गठन में यह साफ हो गया कि नीतीश कुमार राजनीति के चाणक्य हैं। इस बात का सबको पता है कि चिराग पासवान और जीतन राम मांझी से उनके पूर्व में कैसे रिश्ते रहे हैं। नीतीश ने कुछ दिनों के लिए जीतन राम मांझी को खड़ाऊं सीएम बनाया था। लेकिन जब नीतीश ने मांझी से सीएम कि कुर्सी वापस ले ली तब वह नाराज हो गए। ऐसे में उन्होंने जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा बना ली। नीतीश कि लुटिया तो चिराग पासवान ने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में डुबो ही दिया था। इसके बावजूद बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग के गठन में नीतीश कुमार ने अपनी चाणक्य बुद्धि लगाई। उन्होंने आयोग में जीतन राम मांझी के दामाद और चिराग पासवान के बहनोई को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी देकर एक साथ कई निशाने साधे हैं।
मांझी और चिराग को नीतीश ने साधा
अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के तौर पर रामविलास पासवान के दामाद मृणाल पासवान और उपाध्यक्ष के तौर पर जीतन राम मांझी के दामाद देवेंद्र कुमार मांझी को बनाया है। ऐसे में जीतन राम मांझी और चिराग पासवान उनके इस उपकार के आभारी जरूर होंगे। ऐसे में अगर मनमुटाव की स्थिति आती है तो उनके घर से ही नीतीश के शुभ चिंतक निकल आएंगे। यह भी संभव हो सकता है कि अगर चुनाव में टिकट बंटवारे में नीतीश की नहीं चलती है तो वह मांझी और चिराग के मदद से अपना अलग कुनबा बना कर मैदान में उतर जाएं।