द फॉलोअप डेस्क
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक निजी कंपनी में कार्यरत IT इंजीनियर से फ्रॉड ने 7 लाख 74 हजार ठग लिए। बालूघाट निवासी विशाल कश्यप को मुंम्बई क्राईम ब्रांच का आधिकारी बनकर साइबर शातिरों ने चार घंटो तक डिजिटल अरेस्ट रखा। गंभीर आरोप में विशाल के नाम पर केस दर्ज होने का झांसा देकर उनसे 7.74 लाख रुपए तीन अलग-अलग खातों में मंगवाए। उसके बाद उन्हें मुक्त कर दिया। विशाल ने साइबर थाने में घटना की एफआईआर कराई है। साइबर डीएसपी सीमा देवी ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है।
उन्होनें पुलिस को बताया कि 18 अक्तूबर को शाम छह बजे एक अंजान नंबर से कॉल आया। विशाल ने बताया कि उसके नाम के आधार कार्ड का उपयोग कर एक पार्सल ईरान भेज जा रहा था, जिसे रिसीवर ने लेने से मना कर दिया है। पार्सल वापस उसके पास लौट आया है। जिसकी जांच मुंबई क्राइम ब्रांच कर रही है। उसने बताया कि पार्सल में पांच इरानी एक्सपायर्ड पासपोर्ट, एक लैपटॉप, तीन क्रेडिट कार्ड, एक पेन ड्राइव, 450 ग्राम एमडिएम ड्रग्स हैं। 8 अक्टूबर को भेजे गए पार्सल के लिए कंपनी को 93,410 का भुगतान किया गया है।
इसके बाद आकाश ने उसकी कॉल को मुंबई क्राइम ब्रांच के कथित अधिकारी को स्थानांतरित कर दिया। अब क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर कॉल रिसीव करने वाला एफआईआर होने का हवाला देकर तरह-तरह की धमकी देने लगा। उसकी बातों और धमकियों को सुनकर विशाल का खुद पर से नियंत्रित खत्म हो गया। इसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच के कथित अधिकारी बनकर साइबर शातिर ने स्काइप कॉल किया और आधार कार्ड की जानकारी मांगी, जो उसके पास पहले से ही थी। उसने कहा कि मोबाइल एप पर विशाल को उसके व्यक्तिगत ऋण राशि स्वीकृत हो सकती है। इस तरह विशाल से पर्सनल लोन स्वकृति करवाया और उसके उसने तीन-तीन अलग बैंक खाते में 8 बार में 7.74 लाख ट्रांसफर करा लिये।
क्या है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार अधिकतर वही लोग होते हैं जो पढ़े लिखे होते हैं। डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। इस दौरान वे लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं और इसी बीच केस को खत्म करने के लिए पैसे भी ट्रांसफर करवाते रहते हैं।