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पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार उषा किरण खान का पटना में निधन, हिंदी व मैथिली में साहित्य किया लेखन

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पटना 

पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार उषा किरण खान (Usha Kiran Khan) का पटना में निधन हो गया है। वे हिंदी व मैथिली साहित्य लेखन में सक्रिय रहीं। इस कारण उनके निधन से हिंदी व मैथली साहित्य जगत में शोक की लहर है। बता दें कि खान को 2015 में उनके लेखन के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इससे पहले 2010 में उनको साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। इसके साथ ही खान को राजभाषा विभाग का महादेवी वर्मा सम्मान, राष्ट्रभाषा परिषद का हिंदी सम्मान के अलावे कई अन्य सम्मान भी मिले हैं। बताना प्रासंगिक होगा कि उनके पति रामचंद्र खान का निधन 2022 में हो गया था। वे बिहार में डीजीपी के पद पर काम कर चुके थे। 

सांस लेने में दिक्कत थी 

खान के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मृत्यु के समय उनकी आयु 78 साल थी। उनको लंबे समय से सांस लेने में दिक्कत पेश आ रही है। कुछ दिनों पहले उनको पटना के मेदांता अस्पताल में एडमिट किया गया था।  यहीं उन्होंने 11 फरवरी को लगभग 3 बजे अपराह्न आखिरी सांस ली। उषा किरण मूल रूप से दरभंगा, लहरियासराय की रहने वाली थीं। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से भारतीय प्राचीन इतिहास व पुरातत्व विज्ञान में पीजी किया था।


नागार्जुन का रहा प्रभाव 

अपने लेखन के बारे में कुछ दिनों पहले उषा किरण ने कहा था, मैथली भाषा के प्रति मेरे झुकाव के लिए मेरे आदर्श और प्रसिद्ध लेखक व उपन्यासकार नागार्जुन रहे हैं। बात दें कि नागार्जुन ने मैथली भाषा में कई उपन्यास, कहानियां और कविताएं लिखी हैं। उषा किरण खान नागार्जुन को अपना गुरु मानती थीं। वे अक्सर कहती थीं कि उनकी भाषा की सुंदरता नागार्जुन की शैली की देन है। वे नागार्जुन को पिता तुल्य भी मानती थीं।