logo

गौरव : सीडीएस जनरल बिपिन रावत को पद्म विभूषण तो झारखंड के गिरिधारी राम गौंझू को पद्मश्री सम्मान

padam.jpg

रांची:

पद्म पुरस्कारों की शुरुआत 1954 में हुई। तब से अब तक हर गएातंत्रता दिवस के अवसर पर अलग-अलग क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान देने वालों को पद्म सम्मानों से सम्मानित किया जाता है। सिर्फ 1978, 1979 और 1993 से 1997 के दौरान इसे नहीं दिया गया था।

झारखंड के लिए बड़ी खबर यह है कि रांची विवि के जनजातीय भाषा विभाग के अध्यक्ष रहे संस्कृतिकर्मी डॉ गिरधारी राम गौंझू को भी पद्मश्री सम्मान देने की घाषणा की गई है। उन्हें यह सम्मान मरणेपरांत दिया जाएगा। 15 अप्रैल 2021 को उनका निधन हो गया था।

 

 

पद्मश्री विशेष सेवा के लिए, पद्मभूषण उच्च कोटि की विशेष सेवा और पद्म विभूषण असाधारण सेवा के लिए दिया जाता है। आज राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्‍द ने वर्ष 2022 के लिए 4 पद्म विभूषण, 7 पद्म भूषण पुरस्कार और 107 पद्मश्री पुरस्कारों की घोषणा की है।

सीडीएस जनरल बिपिन रावत (मरणोपरांत), यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (मरणोपरांत), गीताप्रेस गोरखपुर के चेयरमैन राधेश्याम खेमका (मरणोपरांत) और शास्त्रीय गायिका प्रभा आत्रे को पद्म विभूषण सम्मान दिया जाएगा। 

 

 

खूंटी के बेलवादाग गांव में जन्म

डॉ. गौंझू की पहचान ठेठ झारखंडी लेखक के रूप में रही। उनका जन्म इंद्रनाथ गौंझू और लालमणि देवी के घर खूंटी के बेलवादाग गांव में 5 दिसंबर 1949 को हुआ था। गुमला के चैनपुर स्थित परमवीर अलबर्ट एक्का मेमोरियल कॉलेज में पढ़ाई की। 

1978 में रांची आए। गोस्सनर कॉलेज और रांची कॉलेज में सेवा दी। रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के अध्यक्ष बने। दिसंबर 2011 में सेवानिवृत्त हुए। 

 

लिखी क़रीब  25 किताबें

डॉ गौंझू ने लगभग 25 पुस्तकें लिखीं। इसमें झारखंड की सांस्कृतिक विरासत, नागपुरी के प्राचीन कवि, रूगड़ा-खुखड़ी, सदानी नागपुरी सगरी व्याकरण, नागपुरी शब्दकोश, झारखंड के लोकगीत, झारखंड के वाद्ययंत्र, मातृभाषा की भूमिका, ऋतु के रंग मांदर के संग, महाबली राधे कर बलिदान, झारखंड का अमृत पुत्र : मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, महाराजा मदरा मुंडा, अखरा निंदाय गेलक नाट्य रचना, कहानी संग्रह, कविता संग्रह आदि किताबें शामिल हैं।