डेस्क:
दूर तक फैला हुआ हरा मैदान है। पास ही लहलहाती फसल और नीचे जमीन पर रखी हुई है अर्थी। अर्थी के आसपास लोग घड़े हैं जो निश्चित रूप से मृतक के परिजन और रिश्तेदार हैं, लेकिन निगाह इन खड़े लोगों पर नहीं जाती बल्कि जाती है एक बछड़े पर। काले और सफेद रंग का ये बछड़ा अर्थी के पास से खड़ा है। कभी अर्थी के चारों ओर घूमता है तो कभी चुपचाप खड़ा होकर अर्थी को एकटक निहारने लगता है। कभी अर्थी में लेटे मृतक के माथे को चूमता है तो कभी पैरों को।
बछड़े ने इंसानों को सिखा दी प्रेम और करुणा
एक ओर चिता तैयार हो रही है। लोग, मृतक को चिता तक ले जाने के लिए अर्थी के पास आते हैं लेकिन बछड़ा लोगों को दूर भगाता है और फिर अर्थी के पास लौट आता है। जिसने भी ये नजारा देखा है, वो हैरान है। लोग हैरान होंगे भी क्योंकि इंसानों में ऐसा प्रेम और समर्पण बचा ही नहीं जैसा इस बेजुबान ने एक इंसान के लिए दिखाया है। ये नजारा दरअसल, झारखंड के हजारीबाग जिला अंतर्गत चौपारण का है। ये अर्थी 75 वर्षीय मेवालाल की है जिनका बीते शनिवार को निधन हो गया। अर्थी के पास खड़ा ये बछड़ा मेवालाल का जिसे उन्होंने 3 महीने पहले आर्थिक तंगी की वजह से बेच दिया था।
इंसान जानवर हो रहे और जानवर ने इंसानियत दिखाई
मौजूदा समय में जबकि इंसान बंटता जा रहा है। अखबार की कतरनें रिश्तों के कत्ल के समाचारों से भरी पड़ी हैं। बच्चे माता-पिता को वृद्धाश्राम का दुख दे रहे हैं। ऐसे वक्त में जबकि भाई, भाई का नहीं हो रहा है। आपसी भरोसा और विश्वास हिलता जा रहा है, इस बेजुबान ने दिखाया है कि प्रेम और समर्पण क्या होता है। रिश्तों का भाव क्या होता है। दरअसल, रिश्ता क्या होता है और रिश्तों का दर्द क्या होता है। ऐसे वक्त में जबकि रिश्ते मोबाइल स्क्रीन में सिमट गए हैं, इस बेजुबान बछड़े ने इंसानों को सिखाया है कि तुम भले ही आधुनिक होकर रिश्तों को शर्म समझने लगे हो, हम जानवरों ने इंसानियत जिंदा रखी है।
72 वर्षीय मेवालाल ने बछड़े को बहुत प्यार दिया था
दरअसल, 72 वर्षीय मेवालाल का शनिवार को देहांत हो गया। उनकी कोई औलाद नहीं थी। उन्होंने एक गाय पाली थी जिसने एक बछड़े को जन्म दिया था। बीते काफी महीनों से यही बछड़ा ही उनका हमदम था। मेवालाल ने किसी बच्चे की तरह ही इस बछड़े को प्यार दिया था लेकिन हाय री किस्मत। 3 महीने पहले आर्थिक तंगी की वजह से मेवालाल को मजबूरन इस बछड़े को बेचना पड़ा। शनिवार को जब मेवालाल ने अपनी आंखें हमेशा के लिए मूंदी तो रिश्तेदार उनकी अंत्येष्टि करने श्मशान पहुंचे। अंत्येष्टि की तैयारी हो रही थी कि तभी वहां एक बछड़ा आ पहुंचा। वो अर्थी के पास जाने की कोशिश कर रहा था। लोगों ने उसे आसपास भोजन की तलाश में आया हुआ जानवर समझ कर भगाना चाहा लेकिन बछड़ा टस से मस नहीं हुआ।
3 महीने बेच दिया गया बछड़ा मालिक की अंत्येष्टि में पहुंचा
आखिरकार लोगों ने बछड़े को पहचाना। लोग हैरान थे कि जिसे 3 महीने पहले बेच दिया गया था, उसे कैसे पता चला के उसके मालिक मेवालाल की मौत हो गई है। कैसे वो श्मशान तक पहुंचा। उसकी करुणा और प्रेम देख लोगों ने उसे स्नान करवाया और मेवालाल की अंत्येष्टि कार्यक्रम में शामिल किया। बछड़ा, तब तक श्मशान भूमि में ही रहा जब तक कि मेवालाल पंचतत्व में विलीन नहीं हो गये। इस बेजुबान ने जानवर हो रहे इंसानों को आखिरकार इंसानियत सिखा दी।