मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने बताया कि सीएम के नेतृत्व में मनरेगा में महिला कार्यबल की भागीदारी को अधिकतम करने और उन्हें अकुशल से अर्ध-कुशल बनाने पर काम किया जा रहा हैं। हमारा उद्देश्य मनरेगा कार्यस्थलों पर महिलाओं के अनुकूल कार्य वातावरण बनाना है।
ग्रामीण विकास विभाग की सोशल ऑडिट इकाई ने मनरेगा योजनाओं का सोशल ऑडिट किया है। इसमें 1118 पंचायतों में संचालित योजनाओं को शामिल किया गया। 29059 योजनाओं के स्थलों का ऑन स्पॉट वेरिफिकेशन हुआ।
झारखंड में 97 प्रतिशत मनरेगा मजदूरों को 100 दिन का काम भी नहीं मिल रहा है। राज्य में हर हाथ को काम देने वाली इस योजना का संचालन ठीक से नहीं हो रहा है। हाल ही में जारी हुए आंकड़े बताते हैं कि राज्य में मनरेगा फेल रहा है। इन आंकड़ों के मुताबिक,चालू वित्तीय वर
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अधिनियम यानी मनरेगा। योजना का लक्ष्य ग्रामीण इलाकों में लोगों को रोजगार की गारंटी देना है। सरकारी योजनाओं में विशेष तौर पर निर्माण कार्यों में बतौर मजदूर बेरोजगार ग्रामीणों की सेवा लेनी है ताकि उनकी आजीव
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मनरेगा योजना के तहत डोभा निर्माण को अपने कार्यकाल में प्रमुख प्राथमिकता दी थी। उस दौरान भी योजना घोटालों का केंद्र बनी हुई थी और आज भी स्थिति ज्यों की त्यों है। लातेहार जिले के गारू प्रखंड अंतर्गत धांगरटोला पंचायत के सुरकुमी गांव
मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने सभी जिलों के उपायुक्तों एवं उप विकास आयुक्तों को पत्र लिखकर अपने-अपने जिलों में "ग्रामीणों की आस, मनरेगा से विकास अभियान" से संबंधित गतिविधियों का सफल संचालन कराने का निर्देश दिया है। पत्र के माध्यम से उन्होंने अभियान के महत्
मनरेगा के जरिये जहां श्रमिकों को रोजगार मिला है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को भी बढ़ावा मिला है। मनरेगा के तहत कई तरह की योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं में नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना, पोटो हो खेल योजना और बिरसा हरित ग्राम योजना शामिल है
बेरोजगारी इस वक्त केवल झारखंड की नहीं बल्कि पूरे देश का ज्वलंत मुद्दा है। लोगों को वैसे ही रोजगार नहीं मिल रहा था, ऊपर से कोरोना काल में कई लोगों की नौकरियां भी चली गईं। लोग किसी भी कीमत पर रोजगार चाहते हैं औऱ इसी की फायदा कुछ जालसाज उठा रहे हैं। ताजा माम
कूप निर्माण में मजदूर काम कर रहे थे। इसी दौरान अचानक कुआं की मिट्टी धंस गई, जिसमें काम कर रहे मजदूर चपेट में आ गए और मिट्टी के नीचे दब गए